फिल्म 'मुगल-ए-आज़म' 1960 में के. आसिफ की ब्लॉक बस्टर फिल्म रही, जिसे आज भी दर्शक देखना पसंद करते हैं. फिल्म में मधुबाला, दिलीप कुमार और पृथ्वीराज कपूर की दमदार अदाकारी ने दर्शकों के लिखों पर अपनी छाप छोड़ी. हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी प्रेम कहानियों में से एक, मुगल-ए-आज़म में सब कुछ है - एक बड़े बजट से लेकर प्रभावशाली सेट तक. फिल्म में अनारकली और राजकुमार सलीम की दुखद प्रेम कहानी के माध्यम से प्यार, वफादारी, परिवार और युद्ध को बड़े ही अनोखे तरीके से पर्दे पर उतारा गया था.
फिल्म 'मुगल-ए-आज़म' का सबसे मशहूर गाना 'प्यार किया तो डरना क्या' से जुड़ा एक अनूठा इतिहास है. उस वक्त जब एक पूरी फिल्म 10 लाख रुपये में बन जाया करती थी, उस वक्त सिर्फ इस गाने को शूट करने में 10 लाख रुपये खर्च हो गए थे. इस गाने को फिल्माने के लिए खासतौर पर शीश महल बनवाया गया था जिसमें हर तरफ सिर्फ शीशे ही शीशे लगे हुए थे. लता मंगेशकर की आवाज का जादू ऐसा चला कि क्या कहने. वहीं इस गाने को गीतकार शकील बदायुनी ने 105 बार लिखा और तब जाकर ये गाना के. आसिफ को पसंद आया था.
लता मंगेशकर को फिल्म 'मुगल-ए-आज़म' के गानों के लिए हर रोज़ 3 से 4 घंटे तक प्रेक्टिस करनी पड़ती थी. इस बात का खुलासा खुद लता मंगेशकर ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान किया था. उन्होंने कहा था- 'जब वो इस फिल्म के गानों की रिकॉर्डिंग करती थीं तब उन्हें लगता था कि उनके ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और कैसे भी करके उन्हें ये पूरी करनी है'.
फिल्म का मशहूर गाना 'जब प्यार किया तो डरना क्या' के बारे में बात करते हुए लता मंगेशकर ने बताया- 'जब पूरी फिल्म शूट हो गई तब मुझे महबूब स्टूडियो में बुलाया गया और ये गाना दिखाया गया और मुझसे कहा गया कि तुम्हें इस गाने के अंत में जो सीन है उसमें ओवरलैपिंग करनी हैं. जो मैंने वहां खड़े-खड़े गाई और बाद में वो लाइन गाने में अलग से जोड़ी गईं'.