NEET छात्रों के लिए ट्वीट कर फंसे साउथ एक्टर सूर्या, बढ़ सकती हैं मुश्किलें
अभिनेता सूर्या NEET परीक्षाओं पर अपनी हालिया टिप्पणी को लेकर काफी बूरे फंसते दिख रहे हैं. मद्रास हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने उनके खिलाफ मुख्य न्यायाधीश एपी साही को पत्र लिख कर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के तहत कार्यवाही की मांग की है.
नई दिल्लीः मद्रास हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने अभिनेता सूर्या के खिलाफ सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एपी साही को पत्र लिखा. न्यायाधीश ने उनसे NEET परीक्षाओं पर उनकी हालिया टिप्पणी को लेकर अभिनेता सूर्या के खिलाफ अदालती कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया है.
बता दें कि हाल ही में विवादास्पद NEET परीक्षा को लेकर आशंका के चलते तमिलनाडु में तीन छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी, जिस पर अभिनेता ने अपने सोशल मीडिया पेज पर एक हार्ड-नोट लिखा, जिसमें NEET के खिलाफ आवाज उठाई गई थी. अब मद्रास हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने मुख्य न्यायाधीश एपी साही को पत्र लिख कर अभिनेता सूर्या के खिलाफ कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के तहत कार्यवाही की मांग की है.
My heart goes out to the three families..! Can't imagine their pain..!! pic.twitter.com/weLEuMwdWL
— Suriya Sivakumar (@Suriya_offl) September 13, 2020
उन्होंने लिखा था, "सरकार को सभी के लिए समान अवसर पैदा करने चाहिए. जो लोग गरीब छात्रों की स्थिति की वास्तविकताओं को नहीं जानते हैं, वे शिक्षा नीतियों का निर्धारण कर रहे हैं. कोरोना के कारण जहां कोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्याय प्रदान कर रही हैं. वहीं छात्रों को बिना किसी सुरक्षा के परीक्षा में उपस्थित होने के लिए कहा जा रहा है. 'छात्र परीक्षा के डर से आत्महत्या कर लेता है' मीडिया में चर्चा का विषय बन जाता है. और कुछ चाणक्य छात्रों के सुसाइड नोट में वर्तनी की गलतियों पर जमकर बहस करते हैं."
मद्रास हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम ने मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से महामारी के दौरान NEET के संचालन के फैसले को बरकरार रखने के बारे में उनकी टिप्पणी पर अभिनेता के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है.
न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम का कहना है कि 'अभिनेता सूर्या ने अपने कथन में माननीय न्यायाधीशों के साथ-साथ न्यायालय की अवमानना की भावना के साथ-साथ हमारे महान राष्ट्र की न्यायिक प्रणाली को भी कमतर ही नहीं आंका है, बल्कि एक बुरी स्थिति में आलोचना की है, जहां यह न्यायपालिका पर जनता के विश्वास के लिए खतरा है.'
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