Majrooh Sultanpuri Career: साल 1949 की बात है. मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri) को एक कविता के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) ने जेल भेज दिया था. दरअसल, सुल्तानपुरी पर आरोप थे कि वह सरकार विरोधी हैं. बाद में सरकार ने उनके सामने ये शर्त रखी कि अगर वह सरकार से लिखित माफी मांगते हैं तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा. लेकिन मजरूह भी अपनी जिद के पक्के थे, उन्होंने सरकार से किसी भी तरह की माफी मांगने से इनकार कर दिया.
उनके हिसाब से उनकी कलम से बड़ा कद किसी का नहीं था. ये मजरूह का इंकलाबी अंदाज था. इस तरह मजरूह ने अपनी जिंदगी के 2 साल जेल में गुजारे. जब मजरूह सुल्तानपुरी 2 साल जेल में रहे तो उनके परिवार की माली हालत काफी खराब हो गई. ऐसे में शोमैन राज कपूर उनकी मदद के लिए आगे आए. राज कपूर मजरूह सुल्तानपुरी का काफी सम्मान करते थे. लेकिन मजरूह सुल्तानपुरी इतने खुद्दार थे कि उन्होंने किसी भी तरह की मदद लेने से इनकार कर दिया.
राज कपूर (Raj Kapoor) ने इसका भी हल निकाल लिया और मजरूह से कहा वह उनके लिए एक गाना लिखें. इसके बाद उन्होंने जेल में ही फेमस गाना 'एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल' लिखा और इस गीत के लिए राज कपूर ने उन्हें 1 हजार रुपये का मेहनताना दिया. राज कपूर ने यह मेहनताना सुल्तानपुरी के घरवालों को पहुंचा दिया. यह फीस अन्य गीतकारों के मुकाबले काफी ज्यादा थी क्योंकि उस वक्त एक गाने के लिए गीतकारों को 200-300 रुपए ही मिलते थे.
बाद में राज कपूर ने इस गाने का इस्तेमाल अपनी फिल्म 'धरम करम' में किया था जो कि बेहद हिट हुआ था. इसके बाद मजरूह 2 साल बाद 1951 के करीब जेल से बाहर आए जिसके बाद सन् 2000 तक उन्होंने कई गीत लिखे. संगीतकार नौशाद (Naushad) और फिल्म निर्देशक नासिर हुसैन के साथ उनकी जोड़ी कमाल करती रही. उन्होंने 6 दशक तक हिंदी सिनेमा को बेहतरीन गीत दिए.