मनोज बाजपेयी ने 'भोंसले' के लिए जीता नेशनल अवॉर्ड, भावुक होकर कही ये बात
पुरस्कार के ऐलान के बाद अभिनेता मनोज बाजपेयी ने भावुक होकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं बल्कि फिल्म से जुड़े हर शख्स का है.
मुंबई: 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के ऐलान के वक्त अभिनेता धनुष के साथ मनोज बाजपेयी को भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता ठहराया गया है. धनुष को तमिल फिल्म 'असुरन' के लिए तो वहीं मनोज बाजपेयी को फिल्म 'भोंसले' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता करार दिया गया. तीसरी बार राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने के बाद मनोज बाजपेयी की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है.
पुरस्कार के ऐलान के बाद अभिनेता मनोज बाजपेयी ने भावुक होकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं बल्कि फिल्म से जुड़े हर शख्स का है. अब जब भोंसले ने अपने सफर का अंत राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर किया है तो ऐसे में मेरे मन में फिल्म से जुड़े सभी निर्माताओं से लेकर तमाम लोगों के लिए आभार के अलावा कुछ नहीं है.'
सभी का शुक्रगुजार
इन दिनों कोरोना वायरस का शिकार होकर होम क्वारंटीन में अपना वक्त गुजार रहे मनोज ने एबीपी न्यूज़ को जारी ऑडियो बयान में कहा, 'मैं इस पुरस्कार को पाकर बेहद खुश हूं और उन सभी का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने इस फिल्म में यकीन किया. मैं अपने निर्देशक देवाशीष मखीजा, अपने सभी सह-कलाकारों संतोष और इप्शिता, निर्देशक संदीप कपूर, पीयूष सिंह, सौरभ और फिल्म से जुड़े तमाम लोगों का आभारी हूं. मैं इस फिल्म और मुझे सपोर्ट करने वाले हर एक शख्स का तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं.'
उल्लेखनीय है कि शेखर कपूर की फिल्म 'बैंड क्वीन' से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले मनोज बाजपेयी को सबसे पहले साल 1998 में रिलीज हुई फिल्म 'सत्या' में भीखू म्हात्रे का किरदार निभाने के लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था. इसके बाद उन्हें साल 2005 में रिलीज हुई और चंद्रप्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में बनी फिल्म 'पिंजर' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के स्पेशल जूरी अवॉर्ड से नवाजा गया.