एक्सप्लोरर
Advertisement
फ्लॉप फिल्मों से परेशान होकर पायलट बनने चले थे मोहनीश बहल, लेकिन तभी इस फिल्म से पलट गई किस्मत
मोहनीश ने सन 1983 में आई फिल्म ‘बेकरार’ में बतौर सपोर्टिंग एक्टर अपने करियर की शुरुआत की थी. यह फिल्म बुरी तरफ फ्लॉप साबित हुई थी और इसके बाद फ्लॉप फिल्मों का एक सिलसिला सा चल पड़ा.
आदमी का वक़्त कभी भी बदल सकता है, यह बात हमारी फिल्म इंडस्ट्री पर एकदम सटीक लागू होती है. यहां कब किसका वक़्त बदल जाए कोई नहीं जानता, ऐसा ही कुछ हुआ था एक्टर मोहनीश बहल के साथ. ख़बरों की मानें तो फिल्मों में एक के बाद एक मिली असफलता से परेशान होकर मोहनीश एक समय इंडस्ट्री को छोड़ने का मन बना चुके थे, लेकिन उसके बाद उनके जीवन में आए एक टर्निंग पॉइंट ने सबकुछ बदलकर रख दिया.
मोहनीश ने सन 1983 में आई फिल्म ‘बेकरार’ में बतौर सपोर्टिंग एक्टर अपने करियर की शुरुआत की थी. यह फिल्म बुरी तरफ फ्लॉप साबित हुई थी और इसके बाद फ्लॉप फिल्मों का एक सिलसिला सा चल पड़ा. बताते हैं कि मोहनीश को अब तक यह समझ आ चुका था कि इंडस्ट्री में उनके लिए अब दरवाज़े बंद हो चुके हैं. मोहनीश की मानें तो वह इंडस्ट्री से पैकअप कर पायलट बनने की तैयारी में जुट गए थे.
हालांकि, तभी उनकी मुलाकात सलमान खान से हुई और उन्होंने मोहनीश का नाम फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ के लिए आगे बढ़ा दिया. मोहनीश इस फिल्म में विलन के किरदार में थे और यहीं से उनके करियर ने टेकऑफ कर लिया. ‘मैने प्यार किया’ सुपरहिट साबित हुई और इसके बाद जैसे मोहनीश का करियर भी चल निकला.
हालांकि, 'मैंने प्यार किया' में विलेन का रोल निभाने को लेकर भी मोहनीश संशय में थे क्योंकि उस समय वह बतौर हीरो जगह बनाना चाहते थे लेकिन काम ना होने के चलते उन्होंने ये फिल्म की और फिर कभी उन्हें पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा. एक के बाद एक मोहनीश ने कई फिल्मों जिनमें - 'हम आपके हैं कौन', 'राजा हिन्दुस्तानी', 'हम साथ साथ हैं' और 'कहो ना प्यार है' आदि में काम किया. आपको बता दें कि मोहनीश को आख़िरी बार फिल्म ‘पानीपत’ में देखा गया था.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, मनोरंजन और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
विश्व
इंडिया
बॉलीवुड
क्रिकेट
Advertisement
संजीव श्रीवास्तव, फॉरेन एक्सपर्ट
Opinion