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High Review: नशे के हाई-वे पर रोचक सफर, ड्रग्स कारोबार की रंगीन मगर क्रूर दुनिया

'दम मारो दम' वेब सीरीज हाई की कहानी नशीली दवाओं के कारोबार को दिखाते हुए कई चौंकाने वाले खुलासे करती है. इसमें ड्रग्स के धंधे की बाजीगरी दिखती है और यह भी पता लगता है कि इस मैदान के दादा कितने जालिम और जानलेवा हैं. जो किसी भी कीमत पर अपने साम्राज्य की ईंट तक नहीं हिलने देते. मगर जादू तो कभी हो सकता है.

High Review: दुनिया रहस्यों से भरी है. कुछ रहस्य कुदरती हैं और कुछ इंसान के रचे. इंसान के रहस्य ज्यादा खतरनाक हैं क्योंकि उनसे कुछ लोगों के स्वार्थ, हानि-लाभ जुड़े हैं. एमएक्स प्लेयर की सात अक्तूबर को रिलीज होने वाली वेबसीरीज हाई ऐसे ही एक रहस्य की कहानी लाई है. यह जुड़ा है ड्रग्स से. ड्रग्स मतलब नशीले पदार्थ. ड्रग्स मतलब दवाएं भी. मुश्किल यह है कि एक ड्रग दूसरे ड्रग की जगह तो लेता है मगर आदत नहीं छूटने देता. एक ड्रग से दूसरे ड्रग की आदत छूटने लगे तो धंधा ही चौपट हो जाए. एमडी, एलएसडी, हशिश, हेरोइन, एमडीएल, म्यांऊ म्याऊं और चायनीज माल से लेकर कोलंबियन अनकट जैसे नशीले पदार्थों से शुरू होने वाली हाई की कहानी अंत तक लंबा सफर तय करती है, जिसमें बीच में एंट्री लेने वाला एक हरे रंग का मैजिक ड्रग मुंबई के नशा-मार्केट को हिला देता है.

ऐसे समय जबकि बॉलीवुड ड्रग्स लेने की बदनामी से दागदार हो रहा है, हाई पाउडर और कैमिकल नशे की दुनिया का चेहरा दिखाती है. यह बताती है कि अकेले मुंबई में पचास लाख से अधिक लोग रोज ड्रग्स लेते हैं. यह नशा इतना महंगा है कि एक-दो ग्राम पाउडर के हजारों रुपये लगते हैं. हाई के बाजार में एक ऐसा मैजिक ड्रग आता है जो पांच-सात हजार रुपये प्रति ग्राम से शुरू होता हुआ बीस हजार रुपये प्रति ग्राम तक जा पहुंचता है. आखिर ऐसा क्या जादू है इसमें. क्यों लोग इसके लिए मुंहमांगी कीमत चुका रहे हैं. यह कहां से आ रहा है. कैसे लोग इसके धंधे से जुड़ते हैं. कोई मजबूर है तो कोई निहाल है. जहां ड्रग्स होंगे, वहां खून-खराबा भी होगा. वह भी हाई में खूब है.

High Review: नशे के हाई-वे पर रोचक सफर, ड्रग्स कारोबार की रंगीन मगर क्रूर दुनिया

हाई की कहानी जमने में एक-दो एपिसोड का समय लेती है क्योंकि ड्रग्स के बाजार में बड़े-बड़े खिलाड़ी यहां-वहां बिखरे हैं. मुंबई की आसमान छूती ऊंची इमारतों से लेकर गंदी-अंधेरी चाल तक इस कहानी का जाल बिछा है. जैसे ही कहानी में सारे खिलाड़ी अपनी पोजिशन लेते हैं, हाई स्पीड पकड़ती है और नौवें एपिसोड में अंत तक इसका रोमांच बांधे रहता है. हाई सीधी लाइन में चलती है और विषय से नहीं भटकती. इसे पर्याप्त शोध करके सधे ढंग से लिखा गया है. निर्देशक निखिल राव के साथ एमिल थॉमस और निशांत गोयल ने मिलकर कथा-पटकथा लिखी है. निखिल का निर्देशन भी कसा हुआ है. कहानी दो सतहों पर चलती है. एक मैजिक ड्रग की कहानी और दूसरी दवाओं के खरबों डॉलर के विश्वव्यापी बिजनेस की कहानी. सवाल यह भी उठता है कि क्या जान लेने और जान बचाने वाले, दोनों ड्रग्स को एक-दूसरे की जरूरत है. वास्तव में यही असली रहस्य है. दोनों के लिए जरूरी है कि लोग किसी न किसी तरह बीमार रहें. वे मानसिक-शारीरिक रूप से स्वस्थ हुए तो दोनों ड्रग्स के धंधे चौपट हो जाएंगे. तो क्या वाकई कोई अंडरवर्ल्ड है, जो दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य की बेहतरी नहीं चाहता. इसीलिए सालों-साल बीमारियां चलती हैं और दवाएं नहीं आतीं.

मैजिक ड्रग के बहाने हाई एक यात्रा पर ले जाती है. जिसमें अनदेखे-अनजाने दरवाजे खुलते हैं. आप चौंकाने वाले षड्यंत्रों से रू-ब-रू होते हैं. हाई हिंदी के सिनेमा में सतही तौर पर दिखाई जाती ड्रग्स की दुनिया से अलग है. यहां कहानी का मुख्य पात्र शिव माथुर (अक्षय ओबेराय) ड्रग एडिक्ट है. ओवरडोज की वजह से उसे जब डॉ. राव (प्रकाश बेलावाड़ी), डॉ. श्वेता देसाई (श्वेता बसु प्रसाद) और डॉ. नकुल (नकुल भल्ला) के रीहैब सेंटर में भर्ती किया जाता है तो कहानी में नई राहें खुलती हैं. यहां मुंबई में गुलाम शेख और मुन्ना भाई जैसे ड्रग्स के क्रूर कारोबारी हैं. रैपर जिम्मी और नाइट क्लब चलाने वाले डीजे की भी एक नशीली दुनिया है. ये ड्रग्स के डीलर हैं. इन सबसे अलग है जैक्सन लकड़ा (रणवीर शौरी). खतरनाक सुपारी किलर. वह फार्मास्युटिकल कंपनी के लिए काम करता है. हाई ड्रग्स के कारोबार और मेडिकल साइंस की दुनिया में होने वाले रिसर्च से जुड़े षड्यंत्रों को समानांतर लेकर चलती है. इन दोनों दुनियाओं के रास्ते जहां एक-दूसरे से मिलते हैं, वही कहानी का हाई पॉइंट है.

High Review: नशे के हाई-वे पर रोचक सफर, ड्रग्स कारोबार की रंगीन मगर क्रूर दुनिया

अक्षय ओबेराय और रणवीर शौरी हाई के दो विपरीत छोरों को संभालते हैं. दोनों अपने किरदारों में खूब रमे-जमे हैं और उनका अभिनय शानदार है. दोनों ऐसी भूमिकाओं में यहां हैं, जिनमें वह अपना बेस्ट दे सकें. अक्षय को यहां देख कर लगता है कि वह लंबी रेस में आ सकते हैं. जबकि रणवीर को लंबे समय बाद ऐसा रोल मिला जिसमें वह पूरी ऊर्जा के साथ हैं. किसी कलाकार की क्षमता की सही पहचान उसे मिले रोल से होती है. इस मामले में अक्षय और रणवीर हाई में सौभाग्यशाली रहे. वहीं प्रकाश बेलावाड़ी, श्वेता बसु प्रसाद और नकुल भल्ला ने भी अपनी भूमिकाएं खूबसूरती से निभाईं. डिजाइनिंग से ऐक्टिंग में आए कुणाल नाइक ने खलनायकी में अच्छे रंग-ढंग दिखाए हैं. हाई उन दर्शकों के लिए है जो क्राइम सीरीज देखना पसंद करते हैं मगर वे भी इसका मजा ले सकेंगे जो ड्रग्स और मेडिसन वर्ल्ड के अंदर की डार्क दुनिया देखना चाह हैं.

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