Indian Matchmaking Review: थोड़ा तुम कंप्रोमाइज करो, थोड़ा हम एडजस्ट करें
शादी-ब्याह गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं. Netflix की इस रियलिटी सीरीज में देखिए कैसी-कैसी उम्मीदें रखते हैं नए जमाने के भारतीय युवा अपने लाइफ पार्टनर से कितना मुश्किल है एक सूटेबल बॉय और सूटेबल गर्ल ढूंढना.
स्मृति मुंधरा
सीमा तपाड़िया
राजे-महाराजे, हाथी की सवारियां, नट-मदारी-बंदर-भालू के खेल और आसमान में रस्सी को सीधा खड़ा कर उस पर चढ़ गायब हो जाने वाले जादूगर अब विश्व में भारत की पहचान भले ही नहीं रहे लेकिन पूजा-पाठ की पद्धतियां, ध्यान और योग से लेकर हमारी धूमधाम से होने वाली रंग-बिरंगी शादियां अभी तक पश्चिम को हैरत में डालती हैं. इंडियन वेडिंग दुनिया के लिए अनोखी घटना है. इसीलिए Netflix का नया शो Indian Matchmaking ओटीटी की दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. भारत में शादी पश्चिम के दो लोगों का पर्सनल मामला होने के बजाय दो परिवारों का गठबंधन है, इसलिए थोड़ा जटिल है. दूल्हे के नखरे, फूफा की नाराजी, बारातियों का स्वागत और जूतों की चोरी की रस्म से लेकर दुल्हन की विदाई के किस्से शादी को यादगार बना देते हैं. पुराने जमाने में गांव-गांव घूमने वाले पंडे-पंडित शादियां जमाया करते थे मगर अब मैचमेकर्स आ गए हैं. इमारतों में खुले दफ्तरों से लेकर ऑनलाइन आसमान तक इनमें जोड़ियां जम रही हैं.
Netflix की आठ कड़ियों वाली रीयलिटी सीरीज इंडियन मैचमेकिंग में आपका परिचय होता है मुंबई की सीमा तपाड़िया से. वह देश की सबसे प्रमुख मैचमेकर के रूप में अपना परिचय देते हुए ऐसे रईस परिवारों से आपको जोड़ती हैं, जिनकी समृद्धि की पहुंच में सब कुछ है. अगर कुछ नहीं है तो परिवार की जवान लड़की या लड़के के लिए एक सही रिश्ता. इनमें से कुछ अमेरिका के अलग-अलग शहरों में हैं तो कुछ देश की आर्थिक राजधानी मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और उदयपुर में. टेक्सास में पली-बढ़ी वकील अपर्णा, न्यूजर्सी में रहने वाली भारतीय मूल की गयानीज नादिया, टेक्सास निवासी साउथ इंडियन कॉलेज काउंसलर गणेशन, मुंबई में रहने वाले हीरा कारोबारी प्रद्युम्न, एक बड़े बिजनेस परिवार के दूसरे नंबर के बेटे बहुत कम बात करने वाले अक्षय, दिल्ली की रहने वाली ड्रेस डिजाइनर अंकिता और कोलोराडो (यूएस) की तलाकशुदा और आठ साल की बच्ची की खूबसूरत पंजाबी सिंगलमदर रूपम की परफेक्ट पार्टनर की तलाश इंडियन मैचमेकिंग में दिखती है. इनके संभावित पार्टनर के रूप में सीमा तपाड़िया जिन लोगों का इनसे परिचय कराती हैं, वे क्रमशः शो में आते चले जाते हैं और जिंदगी की कुछ नई-नई कहानियां आपके सामने खुलती हैं.
ऐसे दौर में जबकि इंडिया में शादियां बिस्कुट की तरह टूट रही हैं, मां-बाप परेशान हैं कि कैसे उनके बेटे या बेटी के लिए परफेक्ट मैच मिले. सबको पार्टनर का रंग गोरा, हाइट अच्छी, करिअर रॉकेट जैसे चढ़ता, स्वभाव हंसमुख, व्यवहार केयरिंग चाहिए. पार्टनर के नखरे न हों, अहंकार न हो, वक्त आने पर वह समझौता करे, समर्पण करे, बलिदान दे, ऐसी मांगों की फेहरिस्त भी है. यहां समुंदर के किनारे की खूबसूरती का लुत्फ सबको लेना है लेकिन पैरों में रेत नहीं लगनी चाहिए. इंडियन मैचमेकिंग में ये बातें रोचक ढंग से सामने आती हैं. यहां कुछ मामलों में हम पाते हैं कि अकड़ के साथ पार्टनर ढूंढने वाले कैसे धीरे-धीरे ढीले पड़ते हैं. एक किस्म का मनोविज्ञान भी सामने खुलता है.
इंडियन मैचमेकिंग में शामिल लड़कियां आम तौर पर पारंपरिक विचारों से विवाह की उम्र पार कर गई हैं. वे करिअर में व्यस्त हैं. मगर उनके निजी जीवन का कोई कोना खाली और सूना है. कुछ लड़कियां तलाकशुदा हैं. उनकी अलग समस्याएं हैं. कुल जमा लड़कियों के लिए शादी किए बिना जीवन परफेक्ट नहीं है. लेकिन लड़कों को भी अकेले चैन कहां हैं. यहां मुंबई में प्रद्युम्न और अक्षय ऐसे किरदार है जो चांदी का चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए हैं. अक्षय का परिवार मां के कसे नियंत्रण में है. वह 25 साल की उम्र में उसकी शादी कराना चाहती हैं. उसके बड़े भाई की शादी हो चुकी है. वह सिर्फ इसलिए परिवार नहीं बढ़ा रहा है कि उसे छोटे भाई की शादी के बाद ही यह काम करना है! यही मां की आज्ञा है.
इंडियन मैचमेकिंग में चेहरा और कुंडली देख कर शादी का भविष्य पढ़ने वाले ज्योतिषि भी हैं. जहां मुश्किल आती है, सीमा वहां रिश्तों को मिलाने के लिए इनकी मदद लेती हैं. शो बताता है कि कुंडलियां मिल जाना कामयाब शादी का इंश्योरेंस है. इस रीयलिटी शो में आप बॉलीवुड फिल्म का रोमांस या इमोशन ढूंढेंगे तो मुश्किल होगी. शो बताता है कि मैचमेकिंग एक प्रोसेस है. एक ऐसी प्रक्रिया, जिसमें निरंतर प्रयोग होते हैं. जब तक प्रयोग सफल नहीं होता यानी दो लोगों के बीच बात बन नहीं जाती तब तक इसे करते जाना है. हालांकि 2020 की इस दुनिया वाले रीयलिटी शो में कुछ बातें आपको दकियानूसी लग सकती हैं.
मगर शो देखते हुए यही अहसास होता है कि तमाम वैज्ञानिक-बौद्धिक-भावनात्मक तरक्की की बातों के बीच साफ है कि शादी ऐसा संबंध है जिसे चलाते रहने के लिए आपको कंप्रोमाइज करना होंगे, थोड़ा एडजस्ट करना होगा. परफेक्ट कोई नहीं है. परफेक्ट जैसा कुछ नहीं है. यही बात इस शो पर भी लागू होती है. यह भी एहसास होता है कि भारतीय शादी में दूल्हा-दुल्हन की तलाश की यह रीयल कहानियां, पश्चिमी समाज का मनोरंजन करने के लिए ज्यादा है. हमारे सामने गुजरने वाली हकीकत यहां कम है. इंडियन मैचमेकिंग का यह शो तरक्की करते भारतीय युवाओं के बारे में पश्चमी समाज की पुरानी धारणाओं को कुछ और समय के लिए मजबूत बनाए रखेगा.