Mera Fauji Calling Review: हम सब रात को चैन से सोते हैं क्योंकि सरहद पर देश की हिफाजत के लिए फौजी जाग रहे हैं. परिवार से दूर, अपनों से दूर, उन सपनों से दूर जो हम और आप देखते हैं. इन्हीं जज्बातों को बेहद सशक्त तरीके से कहानी में पिरोती है इस हफ्ते थिएटर्स में रिलीज हुई फिल्म 'मेरा फौजी कॉलिंग.'
आमतौर पर आपने फिल्म बॉर्डर या एलओसी या हकीकत जैसी फिल्मों में फौजी को अपना घर याद करते देखा होगा. यहां कहानी परिवार के नजरिए से हैं. पत्नी जिसका पति सरहद पर है, फौजी की मां और उसकी नन्ही बेटी साल भर उस दिन का इंतजार करते हैं, जब फौजी छुट्टी लेकर गांव लौटेगा. लेकिन नन्ही बेटी आराध्या बुरा सपना देखती है कि उसके फौजी पिता को गोली लग गयी है. उसकी हालत खराब हो जाती है. क्या ये सपना सच है या कहानी कुछ और है. ये फिल्म फौजी के परिवार की भावनाओं को बेहद खूबसूरती से पर्दे पर उतारती है.
फौजी की पत्नी के रूप में एक्ट्रेस बिदिता बाग हैं, मां जरीना वहाब लेकिन बाजी मार ले जाती है बेटी के रोल में नन्ही माही सोनी. जिस तरह से उन्होंने अपने किरदार को जिया है वो दिल जीत लेता है. शरमन जोशी फिल्म में इंटरवल के बाद आते हैं और हमेशा की तरह बेहद सिव्सेयर, बेहद ईमानदार नजर आते हैं. समझ में नहीं आता कि शरमन जैसे नेचुरल एक्टर ज्यादा फिल्मों में क्यों नहीं दिखते.
आर्यन सक्सेना ने फिल्म का निर्देशन किया है. फिल्म टेक्निकली कई जगह कमोजार दिखती है और कई बार सीन्स कनेक्ट नहीं होते. कुछ मिसिंग लगता है. लेकिन इमोशन्स में कहीं कमजोर नहीं पड़ती. जैसे कहते हैं कि फिल्म का दिल सही जगह पर है और इसीलिए इसकी भावनाएं आपसे सीधे कनेक्ट करती हैं. सबसे बड़ी बात है कि ओटीटी के खुलेपन और गालियों के जमाने में ये साफ सुथरी पूरे परिवार के साथ देखने वाली फिल्म है. फैजी कॉलिग को हम साढ़े तीन स्टार देते हैं.