यह आज की डिजिटल दुनिया से पहले की कहानी है. जब भी भारतीय शेयर बाजार का इतिहास लिखा जाएगा तो हर्षद शांतिलाल मेहता के बगैर अधूरा होगा. लेकिन हर्षद की कहानी का संबंध सिर्फ शेयर बाजार या अर्थव्यवस्था से नहीं है. इसमें राजनीति के भी ऐसे रंग हैं, जिन्हें दबाने की कोशिशें हुईं या सिर्फ अफवाहें करार दिया गया. आज बटन दबाते ही करोड़ों रुपये एक खाते से दूसरे में पहुंच जाते हैं मगर 1992 में यह बड़ा सवाल था कि क्या किसी सूटकेस में एक करोड़ रुपये आ सकते हैं. सौ-सौ के नोट. हर्षद मेहता वह शख्स था जिसकी कामयाबी की किंवदंतियों ने स्टॉक मार्केट में आम आदमी की दिलचस्पी पैदा की. जिसने सरकारी सेक्टर में पड़े अनुत्पादक धन को शेयर मार्केट में लगा कर मुनाफा कमाने का आइडिया दिया. जिसने उस दौर में सेंसेक्स के उछाल को ऐसी रॉकेट-गति दी कि लोग इस नीरस समझे जाने वाले विषय में डूबने लगे. हर्षद ने कहा कि जीवन में सबसे बड़ा जोखिम तो जोखिम नहीं लेना है. उसे रिस्क से इश्क था.
सोनी लिव पर शुक्रवार को आई वेब सीरीज स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी (औसतन 50-50 मिनिट के नौ एपिसोड) एक रोमांचक जीवनी है. जो पांच सौ करोड़ रुपये का बैंक फ्रॉड सामने आने के साथ शिखर पर पहुंचती है और एक प्रधानमंत्री पर सवाल खड़े करते हुए खत्म होती है. यह देबाशीष बसु और सुचेता दलाल की किताब द स्कैम पर आधारित है. निर्देशक हंसल मेहता ने शेयर बाजार की कार्यप्रणाली को सरलता और खूबसूती से पेश किया है. अगर आप इसके बारे में बहुत कम भी जानते हैं तो दिलचस्पी बनी रहती है. प्रतीक गांधी ने यहां हर्षद के किरदार को जीवंत कर दिया है. फिल्मों और वेबसीरीज में राजनीतिक तथा अपराध पत्रकारिता तो आपने देखी होगी, यहां पर आप आर्थिक पत्रकारिता के पहलुओं को देखते हैं. यह कहानी भले ही मुंबइया गुजराती हर्षद मेहता की है मगर एक समय के बाद पत्रकार सुचेता दलाल लगभग केंद्र में आ जाती हैं क्योंकि वही स्कैम को सामने लाती हैं. खोजी पत्रकार सुचेता का हर्षद की चालाकियों को समझना और उसका भंडाफोड़ करना, इसके बाद दफ्तर में ही अपनी खबर को अखबार के पन्ने में सही जगह दिलाने का उनका संघर्ष रोमांच पैदा करता है.
वेब सीरीज बताती है कि हर्षद का सफर एक साधारण युवा की तरह शुरू होता है, जिसके पिता का कपड़ों का बिजनेस चौपट हो जाता है. निम्न मध्यमवर्गीय परिवार आर्थिक मुश्किलों में फंस जाता है. परिवार को सहारा देने के लिए क्लर्की करने से लेकर सड़कों पर सामान बेचने तक का काम करने वाले हर्षद के सपने बड़े हैं. वह स्टॉक मार्केट का रुख करता है और चीता की रफ्तार से छलांगें भरता है. परंतु एक झटका उसे और परिवार को फिर सड़क पर ले आता है. टाइम ही टाइम को बदल सकता है और टाइम को बदलने के लिए थोड़ा टाइम दीजिए. इसी सीख के साथ हर्षद अपने भाई अश्विन के संग नई शुरुआत करता है.
वह अपनी पैसे की ताकत को और बढ़ाना चाहता है, इसलिए शेयर मार्केट से आगे मनी मार्केट का खिलाड़ी बनता है. इस मनी मार्केट में आम आदमी की जगह निजी-सरकारी बैंकों के धन का खेल होता है. सफलता दुश्मन पैदा करती है लेकिन हर्षद किसी पर ध्यान न देते हुए पूरे आत्मविश्वास से मुस्करा कर कहता हैः अगर जेब में मनी हो तो कुंडली में शनि होने से कोई फर्क नहीं पड़ता. कोई उसे शेयर मार्केट का कपिल देव कहता तो कोई बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) का अमिताभ बच्चन. कुछ उसे आइंसटीन बताते. मगर सेंसेक्स की दुनिया में जिस नाम से हर्षद को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि मिली वह था, बिग बुल. दलाल स्ट्रीट की भाषा में बुल का मतलब है, वह जो अपने सींगों से लोगों की उम्मीदों को ऊंचा उठा दे. हर्षद ने लोगों की आशाओं को इस बुल से भी कहीं ज्यादा ताकत से ऊंचाई पर पहुंचाया. उसने उनका भरोसा जीता और कहा कि भरोसा कानून से बड़ा होता है. इस अति-आत्मविश्वास के साथ उसने बैंकों और सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों को मुनाफे की रेस में शामिल किया और कब इसकी टोपी उसके सिर करते हुए सत्ता-व्यवस्था में बैठे लोगों का खिलौना बन गया, उसे ही पता नहीं चला.
यह सब कुछ शायद ऐसे ही चलता अगर पत्रकारिता के पेशे में धार नहीं होती. सुचेता दलाल नहीं होती. हंसल मेहता ने सुचेता के माध्यम से उस दौर की पत्रकारिता को पारदर्शी ढंग से सामने रखा. श्रेया धनवंतरि ने बड़ी शिद्दत से यह भूमिका निभाई है.
अंत तक आते-आते कहानी आर्थिक से राजनीतिक होने लगती है और हर्षद का यह बयान मायने रखता है कि अगर मेरी पूंछ में आग लगाएंगे तो लंका उनकी भी जलेगी. मैं गिरा तो सबको गिराऊंगा. ये सब कौन हैं, स्कैम 1992 इसकी तह तक तो नहीं जाती मगर अंत में देश के चर्चित और सबसे बड़े वकील स्व.राम जेठमलानी का वीडियो यह जरूर कहता है कि यह हर्षद मेहता स्कैम नहीं है, इट्स अ पी.वी. नरसिम्हाराव स्कैम. हर नागरिक के लिए जरूरी है कि वह देश का इतिहास जाने. इतिहास के गर्व और शर्म के क्षण उसे मालूम हों. इतिहास सिखाता है. इतिहास के सबक से हम अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं.