(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Shakuntala Devi Review: विद्या बालन की अच्छी एक्टिंग के साथ 'शकुंतला देवी' में है एंटरटेनमेंट को फुल डोज
Shakuntala Devi Full Movie Review: विद्या बालन स्टारर बायोग्राफिकल ड्रामा 'शकुंतला देवी' रिलीज हो चुकी है. अगर आप भी इस वीकेंड कोई फिल्म देखने का मन बना रहे हैं तो पहले यहां पढ़ें इसका रिव्यू..जानें कैसी है फिल्..
Anu Menon
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Shakuntala Devi Full Movie Review: भले ही सारा जमाना अपने जहन में खुद को जीनियस मानता हो, लेकिन जितना नॉर्मल लोगों के लिए लोगों के बीच जगह बनाना मुश्किल है, उतना ही जीनियस लोगों के लिए भी आम हो जाना मुश्किल है. आज अमेजन प्राइम वीडियो पर प्रीमियर हुई विद्या बालन की फिल्म 'शकुंतला' तो कम से कम यही कहने की कोशिश करती है.
बेंगलुरु में जन्मी शंकुतला देवी सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से मशहूर थीं. उन्होंने अपने नाम कई ऐसे रिकॉर्ड किए जिन्हें किसी के लिए भी तोड़ पाना मुश्किल होगा. लेकिन अब उनकी मौत के करीब 7 साल बाद उनकी जिंदगी पर आधारित एक फिल्म बनी है 'शकुंतला देवी', इसमें विद्या बालन लीड रोल में नजर आ रही हैं.
फिल्म एक बायोग्राफिकल ड्रामा है और इसमें शंकुतला देवी के जीवन से जुड़े कई अनछुए पहलुओं को दर्शकों के सामने रखने की कोशिश की है. फिल्म का निर्देशन अनु मेनन ने किया है. वहीं, स्टारकास्ट की बात करें तो इसमें विद्या बालन के साथ सान्या मल्होत्रा, अमित साध और जीशू सेनगुप्ता मुख्य भूमिकाओं हैं.
फिल्म की कहानी बेंगलुरु के एक छोटे से गांव से शुरू होती है, जहां शंकुतला देवी का जन्म होता है. करीब 5 साल की उम्र से ही लोगों को शकुंतला के इस खास टैलेंट के बारे में पता लगना शुरू हो जाता है. शकुंतला देवी का परिवार क्योंकि बहुत गरीब है इसलिए उनके पिता उनके इस टैलेंट को ही रोजगार का जरिया बना लेते हैं. शकुंतला जो कि अभी बहुत छोटी है उससे लगातार शो करवाए जाते हैं और उन्हीं पैसों से घर खर्च चलाया जाने लगता है. लेकिन अभी जब शकुंतला धीरे-धीरे अपनी पहचान बना ही रही होती है कि उसके साथ के दुखद घटना घटित होती है. उसकी बड़ी बहन पैसों और इलाज के अभाव में दम तोड़ देती है. छोटी सी शकुंतला को ये बात बेहद दुख पहुंचाती है और वो अपने पिता से नफरत करने लग जाती है.
धीरे-धीरे शकुंतला देवी बड़ी होती हैं और अपने लिए नए मुकाम बनाती चली जाती हैं. जवानी की दहलीज पर पहुंची शकुंतला देवी को इश्क हो जाता है. लेकिन अफसोस उनका प्यार उन्हें धोखा दे देता है. यही बनती है शकुंतला देवी की जिंदगी को बदलकर एक नए मोड़ ले जानी वाली घटना. इसी के बाद शकुंतला देवी लंदन पहुंचती हैं और वहां मिलते हैं उनकी इस प्रतिभा को नए पंख.
फिल्म में मैथ्स जीनियस शकुंतला देवी की मैथ से ज्यादा ये सवाल उठाया गया है कि जीनियस लोगों को ऩॉर्मल क्यों नहीं समझा जाता. शकुंतला देवी जो कि लंदन पहुंचने के बाद दुनियाभर में नाम कमाती हैं और कंप्यूटर तक की कैलक्युलेशन में गलती निकाल देती हैं कि जिंदगी में एंट्री होती परितोष की जो कि एक आईएएस अफसर है. शकुंतला को उनसे प्यार होता है और फिर उनकी जिंदगी में आती है उनकी बेटी अनु (सान्या मल्होत्रा). शकुंतला और परितोष अलग हो जाते हैं और अनु मां के साथ ही रहने लगती है.
फिल्म में काफी मैलोड्रामा दिखाया गया है. जिसे अंत में फिल्म निर्माता शंकुलता देवी के असल जिंदगी की तस्वीरों को दिखाकर स्थापित भी करने की कोशिश करते दिख रहे हैं. साथ ही फिल्म में महिलाओं के अधिकारों को लेकर भी काफी बात की गई है.
किसी भी निर्देशक के लिए इतनी बड़ी हसियत की शख्सियत को 2 घंटे और 10 मिनट की फिल्म में उतार पाना जरा मुश्किल है. लेकिन फिर भी फिल्म में उनके जीवन के ज्यादातर अहम पहलुओं को कवर करने की कोशिश की गई है. फिल्मकार की यही कोशिश इसे फास्टफॉरवर्ड मोड में ले जाती है. कई बार आपको फिल्म देखते हुए ऐसा महसूस होगा कि एक के बाद दूसरी और दूसरे के बाद तीसरी घटनाएं कितनी जल्दी बदल रही हैं.
मैथ के लिए शकुंतला देवी का प्यार और अपनी बेटी को हमेशा अपने पास रखने की जिद, अनु की नजरों में उन्हें एक बुरी मां बना देता है और वो भी धीरे-धीरे शकुंतला देवी से नफरत करने लग जाती है. इस सब के बीच अनु की मुलाकात अजय अभय कुमार से होती है, दोनों शादी करते हैं और साथ रहते हैं. लेकिन ये सब इतना आसान भी नहीं है, इसमें भी दर्शकों को काफी उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे.
क्यों देखेंय/क्यों न देखें फिल्म
- शकुंतला देवी जैसी महान शख्सियत की जिंदगी पर आधारित इस फिल्म को बिल्कुल भी मिस नहीं किया जाना चाहिए. वो एक ऐसी शख्सियत थी जिनकी जिंदगी को करीब से देखने के मौके को बिल्कुल नहीं गंवाना चाहिए.
- शकुंतला देवी एक लाइट हार्टेड मजेदार फिल्म है. फिल्म में आपको एक हिंदी फीचर फिल्मों में मिलने वाले सभी गुण मिलेंगे. फिल्म आपको हंसाती भी है, रुलाती भी है, साथ ही जिंदगी को अलग तरीके से देखने का नजरिया भी देती है.
- विद्या बालन ने ऑनस्क्रीन जबरदस्त वापसी की है. शकुंतला देवी के किरदार में वो पूरी तरह रंगी हुई नजर आ रही हैं. फिर चाहे उनके मेकअप की बात करें या फिर चाल ढाल की, सभी मानकों पर विद्या ने शानदार काम किया है.
- ये फिल्म एक बायोपिक है और ऐसी फिल्मों को बॉलीवुड में अक्सर मैलोड्रमैटिक बनाने की कोशिश होती है. बायोग्राफिकल फिल्म में अंत तक दर्शकों की दिलचस्पी बनाए रखने के लिए उसमें क्रिएटिव लिबर्टी के नाम पर कई बदलाव किए जाते हैं इस फिल्म में भी ऐसा ही हुआ है.