Taish Review: कहानी की शुरुआत में नयापन, लेकिन एक साधारण क्राइम ड्रामे में बदल जाती है ये सीरीज़
ओटीटी की दुनिया में दर्शकों को ऐसे कंटेंट की उम्मीद रहती है जो रूटीन एंटरटेनमेंट से हट कर हो. मगर निर्देशक बिजॉय नांबियार की तैश इस कसौटी पर खरी नहीं उतरती. कहानी की शुरुआत में जो कुछ नयापन लगता है उसकी चमक थोड़ी ही देर में खत्म हो जाती है. यह एक साधारण क्राइम ड्रामे में बदल जाती है.
बिजॉय नांबियार
पुलकित सम्राट, हर्षवर्द्धन राणे, जिम सारभ, कृति खरबंदा, संजीदा शेख और अभिमन्यु सिंह.
बॉलीवुड कंटेंट की पंजाबी शादियों और लंदन के बीच रिश्ते का अब लंबा इतिहास है. खासतौर पर बीते 25 बरस में. निर्देशक बिजॉय नांबियार की वेब सीरीज 'तैश' में पंजाबी शादी और गैंगस्टर ड्रामा दोनों लंदन में है. आधी कहानी शादी है और आधा क्राइम वर्ल्ड है. दोनों के केंद्र में पंजाबी हैं. यहां संवाद भी करीब-करीब पंजाबी में हैं. ऐसे में अगर आप 'तैश' को हिंदी सीरीज समझते हुए देखेंगे तो हिंदी सुनने के लिए कान तरस जाएंगे. बेहतर होता कि बिजॉय हिंदी का इस्तेमाल ही न करते. इसे पूरी तरह पंजाबी में ही कह देते. खैर, कहानी सीधी सरल है. लंदन में दो पंजाबी परिवार हैं. एक है ब्रार परिवार और दूसरी कालरा फैमिली. ब्रार क्राइम वर्ल्ड में पैठ रखते हैं और कालरा बिजनेस में हैं. कालरा के यहां लड़के की शादी निकली है और शादी के 10 दिन पहले से हो रहे सेलिब्रेशंस में कालरा परिवार के एक मेहमान के हाथों ब्रार परिवार के लीडर कुलजिंदर (अभिमन्यु सिंह) की दुर्गती हो जाती है. कुलजिंदर की इस हालत के पीछे एक डार्क अतीत है. कुलजिंदर के आदमी देखते-देखते बदला ले लेते हैं और जिस लड़के की शादी है, उसे मौत के घाट उतार देते हैं. इसके बाद शुरू होता है खून-खराबे और हिंसा का दौर. जो द एंड तक चलता है.
साल 2011 में फिल्म 'शैतान' बना कर ध्यान आकर्षित करने वाले बिजॉय नांबियार उसके बाद सफल होने के वास्ते लगातार प्रयोग करते रहे. मगर उनकी फिल्मों में सफल होने जैसा कुछ नहीं था. 2018 में जरूर इरफान के संग उन्होंने क्रिटिक्स को पसंद आई 'कारवां' बनाई, परंतु बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी का कारवां नहीं बढ़ा. अब वह 'तैश' लेकर आए हैं. जिसमें सनी लालवानी (पुलकित सम्राट) को छोड़ कर सारे बंदे कूल हैं. सनी यहां पटाखे की फैक्ट्री में माचिस की तीली जैसा है. एकदम भड़कता है और जहां जाता है, वहीं आग लग जाती है. वह मारे गए दूल्हे के बड़े भाई रोहन कालरा (जिम सारभ) का बेस्ट फ्रेंड है. वह क्रिमिनल कुलजिंदर से अपने दोस्त का ही बदला लेता है. मगर बात निकलती है तो फिर बढ़ती जाती है. बिजॉय नांबियार बातों के इस सिलसिले में कुछ नया नहीं रच पाए. हालांकि पंजाबी शादी वाले हिस्से को संभालने में वह काफी हद तक कामयाब रहे, परंतु जैसे ही गैंगस्टर हावी हुए, कहानी में न दमखम बचा और न इमोशन.
'तैश' जी5 पर आई वेब सीरीज है. करीब आधे-आधे घंटे के छह एपिसोड हैं. अगर आप शादी और क्राइम का मिक्स देखन चाहते हैं तो इसे देख सकते हैं. इसमें संदेह नहीं की 'तैश' की शुरुआत अच्छी है. रफ्तार के साथ यह बढ़ती है और यहां इसे खूबसूरती से एडिट किया गया है. कहानी पांच सितारा होटल के पुरुषों के बाथरूम में हुई एक खूनी घटना से शुरू होती है. तुरंत यह सवाल पैदा होता है कि जो हुआ, वह क्यों हुआ? इसके बाद ज्यादा कुछ भले नहीं घटता मगर पंजाबी शादी की तैयारियां, डांस, गीत-संगीत, दूल्हा-दुल्हन के बीच समस्याएं, किरदारों के आपसी झगड़ों से लेकर कुछ रोमांस से सीरीज़ बांधे रहती है. जिम सारभ कुछ ओवर ऐक्टिंग करते हुए भी ठीक लगते हैं और पुलकित सम्राट की एंट्री बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में होती है. यहां तक लगता है कि आगे भी ऐसे चला तो आप एंटरटेन होते रह सकते हैं. मगर जैसे ही सीरीज़ में इस सवाल का जवाब मिलता है कि पहले सीन में खूनी घटना क्यों हुई, तैश पटरी से उतर जाती है.
नाच-गाना-रोमांस खत्म हो जाता है. बदले की कहानी शुरू हो जाती है. जिसके कई सिरे खुले और गैर-जरूरी नजर आने लगते हैं. यहां से आप जानते हैं कि आगे क्या-क्या होने वाला है. कहानी दो साल आगे छलांग मारते हुए और अधिक रूटीन होकर उबाने लगती है. होते-होते फिर सस्ते ड्रामे में बदल जाती है. राइटरों और डायरेक्टर ने इस हिस्से पर कुछ खास सोचा होगा, ऐसा नहीं लगता. बल्कि लगता है कि पुरानी ऐक्शन फिल्मों के ड्रामे को उठा कर चस्पा कर दिया है. यहां जिम सारभ के अलावा कोई ऐक्टर असर नहीं छोड़ता. पुलकित को शुरुआत में देख कर लगता है कि वह शायद अपनी पिछली खराब फिल्मों से कुछ बेहतर करने वाले हैं, मगर निर्देशक ने उन्हें दूसरे हिस्से में फिर पुराने रास्ते पर डाल दिया. कुल जमा 'तैश' एक औसत वेब सीरीज होकर रह जाती है, जिसमें बॉलीवुड के वे सारे मसाले हैं, जिनसे ऊब कर हम ओटीटी पर लगातार नए की तलाश कर रहे हैं.