कंगना को झटका: कोर्ट ने इमारत गिराने के नोटिस के खिलाफ अभिनेत्री की याचिका खारिज की
जज एल. एस. चव्हाण ने अभिनेत्री की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी.बीएमसी ने अभिनेत्री के अपार्टमेंट में हुए ‘अवैध निर्माण’ को गिराने के लिए 2018 में नोटिस जारी किया था.रनौत ने जनवरी 2019 में डिंडोशी दीवानी अदालत में बीएमसी के नोटिस को चुनौती दी थी.
स्थानीय दीवानी अदालत ने खार इलाके में स्थित अभिनेत्री कंगना रनौत के आवासीय अपार्टमेंट में हुए ‘अवैध निर्माण’ को गिराने संबंधी बीएमसी के 2018 के नोटिस के खिलाफ अभिनेत्री की याचिका खारिज कर दी है. इस संबंध में अदालती आदेश बुधवार को प्राप्त हुआ है.
जज एल. एस. चव्हाण ने अभिनेत्री की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. बीएमसी ने खार स्थित अभिनेत्री के अपार्टमेंट में हुए ‘अवैध निर्माण’ को गिराने के लिए 2018 में नोटिस जारी किया था. रनौत ने जनवरी 2019 में डिंडोशी दीवानी अदालत में बीएमसी के नोटिस को चुनौती दी थी.
अभिनेत्री की अर्जी हुई खारिज
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया था कि वह बीएमसी को उनके अपार्टमेंट में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने से रोके. उस वक्त अदालत ने अर्जी पर सुनवाई होने तक यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश चव्हाण ने अभिनेत्री की अर्जी खारिज कर दी लेकिन साथ ही उन्हें बंबई हाईकोर्ट में अपील करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है.
मानवाधिकार आयोग ने दिया ये आदेश
बीएमसी द्वारा कंगना रनौत के बंगले के एक हिस्से को तोड़े जाने के विरुद्ध दायर एक याचिका पर बुधवार को महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने महानगर पालिका आयुक्त को 20 जनवरी को सुनवाई के दौरान आयोग के सामने पेश होने का आदेश दिया. आयोग में दो दिन पहले याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि बांद्रा में रनौत के बंगले में की गई तोड़फोड़ उनके मानवाधिकारों का हनन था.
बीएमसी ने किया ये दावा
बीएमसी ने दावा किया था कि अभिनेत्री ने बंगले में गैरकानूनी निर्माण कराया था इसलिए निकाय के अधिकारियों ने कानून सम्मत कार्रवाई की थी. याचिकाकर्ता आदित्य मिश्रा ने बंबई हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि बीएमसी द्वारा कानून की आड़ में द्वेषपूर्ण कार्रवाई की गई थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का भी हवाला दिया. जिसके अनुसार, निजी संपत्ति के अधिकार को मानवाधिकार घोषित किया गया था.
याचिकाकर्ता ने कही ये बात
याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि किसी की निजी संपत्ति पर राज्य या उसकी एजेंसी द्वारा की गई कार्रवाई अवैध पाई जाती है तो यह मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा. उन्होंने कहा, “जब बीएमसी द्वारा की गई कार्रवाई को बंबई हाईकोर्ट ने अवैध पाया तो यह साफ हो जाता है कि यह मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है जिसमें आयोग का दखल अपेक्षित है.” बता दें कि आयोग ने बुधवार को याचिका स्वीकार की और महानगर पालिका आयुक्त को 20 जनवरी को सुनवाई के दौरान उपस्थित होने का आदेश दिया.
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