(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कॉमेडियन Munawar Faruqui ने Kangana Ranaut की इस हरकत पर कसा तंज, बोले- मन हो रहा फिर जेल चला जाऊं
कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी ने एक्ट्रेस कंगना रनौत पर तंज कसा है. वह कंगना रनौत के लगातार ट्वीट से पढ़कर काफी परेशान हो गए हैं. उनका कहना है कि कंगना के ट्वीट पढ़ने से अच्छा है कि वह वापिस न्यायिक हिरासत में चल जाएं.
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत ने लॉकडाउन के बीच सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ट्विटर पर आधिकारिक तौर से एंट्री की. इसके बाद वह लगातार कई मुद्दों पर मुखरता से अपना पक्ष रखती हुईं आ रही हैं. ट्विटर पर भी मुखरता और बेबाकी की वजह उन्हें कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा. उन पर ट्विटर पर एक धर्म विशेष की भावनाएं आहत करने और सांप्रदायिक दंगे भड़काने का आरोप लगा. इसे लेकर बॉम्बे हॉईकोर्ट में सुनवाई चल रही है.
इसके बाद भी कंगना रनौत ट्विटर शांत नहीं है. वह देश में चल रहे किसान आंदोलन के खिलाफ भी लगातार ट्वीट कर रही हैं. वह ट्विटर पर दिलजीत दोसांझ, तापसी पन्नू, स्वरा भास्कर जैसे कई एक्ट्रेस और कलाकारों से भिड़ चुकी हैं. अब लोग उनके ट्वीट से परेशान होकर उन्हें ट्रोल भी करने लगे है. कंगना के ट्वीट्स अब कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी ने भी तंज कस दिया है.
यहां देखिए मुनव्वर फारूकी का ट्वीट-
Kangana ke tweets padke lag raha hai Fir se Judicial custody chala jaun!
— munawar faruqui (@munawar0018) February 11, 2021
कंगना पर कसा तंज
हाल ही में जेल से छूटकर आए मुनव्वर फारूकी का कहना है कंगना के ट्वीट पढ़ने से अच्छा है कि वह जेल चले जाएं. उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा,"कंगना के ट्वीट पढ़कर लग रहा है फिर से न्यायिक हिरासत में चला जाऊं!" बता दें कि मुनव्वर पांच फरवरी को जमानत पर जेल से छूटकर आए हैं. वह एक महीने से ज्यादा वक्त तक भोपाल की जेल में बंद थे. उनपर हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप लगे थे.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
हालांकि मुनव्वर फारूकी ने मध्यप्रेदश हाईकोर्ट में यह दावा किया था कि उनके ऊपर जो आरोप लगाए गए हैं, वह गलत हैं. उन्होंने हिंदू धर्म के बारे में कोई अपमानजनक बात नहीं कही थी. लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए रिहाई के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि फारूकी को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने कोई प्राथमिक जांच नहीं की. उसे जब मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, तब भी यह नहीं बताया कि उसे गिरफ्तार कर लिया जाना क्यों जरूरी था. प्रक्रिया में इसी कमी के आधार पर कोर्ट ने बिना राज्य सरकार का पक्ष सुने फारूकी की अंतरिम रिहाई का आदेश दे दिया.
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