(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
नसीरुद्दीन शाह ने पढ़ी कविता, 'हिंदुस्तानी मुसलमान', सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वीडियो
बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह का एक पुरान वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है. ये वीडियो कवि, लेखक और गीतकार हुसैन हैदरी ने शेयर किया है. इस वीडियो में नसीरुद्दी शान उनकी कविता को पढ़ रहे हैं. हालांकि ये वीडियो 10 महीने पुराना है, लेकिन शेयर होने के बाद से काफी देखा जा रहा है.
कवि, लेखक और गीतकार हुसैन हैदरी ने हाल ही में ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह उनकी कविता 'हिंदुस्तानी मुसलमां' पढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. नसीरुद्दीन शाह इस कविता को इंडियन कल्चरल फोरम के लिए पढ़ रहे थे. ये कविता उन्होंने 10 महीने पहले पढ़ी थी.
अब कवि हुसैन हैदरी ने इसके दो वीडियो शेयर किए हैं. इस वीडियो को शेयर करते हुए हुसैन हैदरी ने लिखा,"नसीरुद्दीन शाह साहब मेरी कविता 'हिंदुस्तानी मुसलमां' को पढ़ते हुए." उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा,"यह मेरी खुशकिस्मति और एक बड़ा सम्मान है. नसीर साहब में आपका अनंत तक आभारी रहूंगा."
यहां देखिए हुसैन हैदरी का ट्वीट-
Naseeruddin Shah saahab reciting my poem, Hindustani Musalmaan, for @IWF_Writers.
(1/2) pic.twitter.com/UkuKUYUaxg — Hussain Haidry (@hussainhaidry) December 29, 2020
10 महीने पुराना वीडियो
हुसैन हैदरी एक अन्य ट्वीट में लिखा,"दरअसल यह 10 महीने पुराना वीडियो है. मुझे इसके बारे में आज इंस्टाग्राम के जरिए पता चला है. मैंने इस इंडियन कल्चर फोरम के हैंडल पर देखा. तो मैंने इसे यहां शेयर किया है." हुसैन हैदरी ने इसके साथ एक लिंक भी शेयर किया है. इसमें नसीरुद्दीन शाह पूरी कविता पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं.
It's actually a 10-month old video. I got to know about it today on Instagram through ICF's handle, so put it up.
Link: https://t.co/MqbMPrEGJX — Hussain Haidry (@hussainhaidry) December 29, 2020
2017 में पहली बार पढ़ी कविता
हुसैन हैदरी ने 'हिंदुंस्तानी मुसलमां' कविता पहली बार साल 2017 में मुंबई के एक आर्ट प्रोग्राम में पढ़ी थी. इसका वीडियो शेयर होने के बाद सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो गई थी. कई समाचर पत्रों में इस सुर्खियां बनी कि कैसे इससे लोगों की आंखों में आंसू तक आ गए.
मुसलमानों पर अलग-अलग प्रभाव इस कविता की शुरुआत इस तरह से है- मैं कैसा मुसलमां हूं भाई? और इसके आखिरी की लाइन है- मैं हिंदुस्तानी मुसमां हूं. इस कविता में बताया गया है कि मुसलमान कई अलग-अलग प्रभावों का मिश्रण है.
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