मुंबई: 67वां राष्ट्रीय फिल्म‌ पुरस्कार पत्नी-पत्नी विवेक अग्निहोत्री और पल्लवी जोशी के लिए दोहरी खुशी लेकर आया. फिल्म ताशकंद फाइल्स के‌ निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को इसी फिल्म के लिए स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स लिखने के लिए तो वहीं अभिनेत्री पल्लवी जोशी को इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया. दोहरी खुशी के इस मौके पर विवेक और पल्लवी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की.


पल्लवी ने कहा, 'जब स्क्रीन पर मैंने विजेता के तौर पर विवेक का नाम देखा तो खुशी से झूम रही थी. लेकिन जब थोड़ी देर बाद मैंने विजेता के तौर पर अपना नाम देखा तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरे ही नाम का ऐलान किया गया है. थोड़ी देर बाद मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैंने इस फिल्म को प्रोड्यूस करने के साथ-साथ इसमें अभिनय भी किया है.'


विवेक अग्रिहोत्री ने देश के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री के रहस्यमय मौत को लेकर बनाई 'द ताशकंद फाइल्स' में स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद एबीपी न्यूज़ से कहा, 'मैं हमेशा से ही स्क्रीनप्ले के लिए पुरस्कार जीतना चाहता था और आज इस पुरस्कार को जीतने के बाद बेहद खुश हूं.'


हो रही थी नकारात्मक चर्चाएं


विवेक ने आगे कहा, 'लोग फिल्म में मेरे डायलॉग्स को लेकर कई तरह की नकारात्मक चर्चाएं कर रहे थे और कह रहे थे कि फिल्म में काफी ज्यादा संवाद हैं, इन्हें कम किया जाना चाहिए. इतना ही नहीं, फिल्म की लंबाई को लेकर भी कहा जा रहा था कि इसे थोड़ा कम किया जाना चाहिए और आज देखिए मैंने स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है. इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है मेरे लिए.'


विवेक ने अपनी पत्नी पल्लवी के अवॉर्ड जीतने को लेकर भी खुशी जताई और कहा, 'मुझे लग रहा था कि फिल्म में श्वेता प्रसाद बासु, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी तीनों ने ही बहुत अच्छा काम किया है और मुझे तीनों के अभिनय को लेकर बहुत उम्मीद थी. अब जाहिर है कि हर किसी को राष्ट्रीय पुरस्कार तो नहीं मिल सकता है.'


बॉक्स ऑफिस पर 'द ताशकंद फाइल्स' की कामयाबी पर पल्लवी जोशी ने कहा, 'इस फिल्म की‌ कामयाबी का श्रेय पूरी तरह से आम लोगों को जाता है, जिन्होंने इस फिल्म को इतना अधिक प्यार दिया. मगर फिल्म की रिलीज से पहले इस फिल्म को लेकर काफी नकारात्मक बातें कहीं और लिखीं जा रहीं थीं.'


विवेक कहते हैं, 'फिल्म की रिलीज के लिए हमें थिएटर भी नहीं मिल रहे थे. ऐसे में इस फिल्म को महज 150 सिनेमाघरों में ही रिलीज किया गया था और फिल्म ने 100 से भी अधिक दिन तक सिनेमाघरों में जमे रहकर अच्छा कारोबार किया था.'


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