Nawazuddin Siddiqui जिन्होंने अपने सपनों को कभी हारने नहीं दिया, कई संघर्षों का किया सामना
नवाजुद्दीन ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि, ‘मेरी 15 साल की उम्र के बाद जो मेरी लाइफ थी उसमें खाने तक को नहीं मिलता था. ऐसे हालात में मैं कभी-कभी बहुत उदास हो जाता था.
बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी बॉलीवुड के बेहतरीन ऐक्टर्स में से एक हैं. फिल्म इंडस्ट्री में इस मुकाम को पाने के लिए नवाजुद्दीन ने काफी लंबा संघर्ष किया. एक समय ऐसा था था जब उनके पास खाने को कुछ नहीं होता था. कमजोरी की वजह से वह चल तक नहीं पाते थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपने संघर्ष के बारे में बताते हुए कहा था कि, ‘जब मैं मुंबई आया तो मुझे मालूम था की मेरे पास personality नहीं है. मेरे पापा, दादा इस फिल्म इंडस्ट्री से कोई है नहीं.’
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आगे बताते हैं कि, ‘मुंबई में जब मैं आया तो मेरे पास 10-12 साल तक कोई काम नहीं था. सिर्फ 10 सेकेंड के कभी-कभी रोल मिल जाया करते थे. लेकिन मैंने कभी अपनी हिम्मत नहीं हारी. मैंन हमेशा ये सोचता था कि, मैं तो trained भी हूं. मैं हमेशा लोगों को ध्यान से देखता था फिर मुझे ये समझ में आया की जब भी मुझे कोई रोल मिलेगा तो जिन लोगों को मैं ध्यान से देखता था उन्ही में से एक इंसान होगा. उसी में वो बाला साहेब ठाकरे, मंटो, गणेश गायतोंडे, फैजल खान जैसे किरदार थे.’
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एक्टर ने आगे कहा, ‘15 साल के बाद जो मेरी लाइफ थी उसमें खाने तक को नहीं मिलता था. मैं कभी-कभी बहुत उदास हो जाता था. मैं ये भी कहूंगा जब आप संघर्ष कर रहे होते हो तो वो एक मौका जरूर देती है आपको अपने आप को प्रूफ के लिए.’ बता दें कि एक्टर ने साल 1999 में फिल्म 'सरफरोश' में अपने अभिनय की शुरुआत की थी.