नई दिल्ली: आज पूरी दुनिया को कोरोना वैक्सीन की खोज है. वैक्सीन की खोज में आज दुनिया के तमाम ताकतवर देश लगे हुए हैं ऐसे में भारत में भी लगातार कोशिश जारी है. सभी भारतीयों को इस वैक्सीन बनने का इंतजार है जो इस संकट से लड़ रहे लोगों को बचा सकता है.


इत्तेफ़ाक़ ही सही , लेकिन अभिनेता इरफान खान की भी एक फिल्म को देखकर पहली बार बॉलीवुड, दर्शकों और क्रिटिक्स ने खूब तारीफ की थी. इरफान ने उस दौरान पहली बार एक पत्रकार का रोल निभाया था. फिल्म का नाम 'एक डॉक्टर की मौत' में जिसके निर्देशक थे तपन सिंह थे. इस फ़िल्म में इरफान वो पत्रकार बने थे जिन्होंने लोगों तक वो खबर पहुंचाई जो एक वैक्सीन के आविष्कार के साथ जुड़ी हुई थी . लेप्रोसी यानी कि कुष्ठ रोग की वैक्सीन.


फ़िल्म का प्लाट


डॉक्टर रॉय एक बहुत ही ईमानदार डॉक्टर थे , उन्होंने सालों की मेहनत के बाद लेप्रोसी यानी कि कुष्ठ रोग की वैक्सीन का आविष्कार किया था. लेकिन स्वास्थ्य दफ्तर के कुछ भ्रष्ट अफसरों ने उनको मान्यता नहीं दी , इसके बाद डॉक्टर राय का तबादला एक गांव में कर दिया जाता है जहां वो आत्महत्या कर लेते हैं . बाद में फ़िल्म में दिखाया जाता है कि अमेरिका के साइंटिस्ट्स लेप्रोसी की वैक्सीन ढूंढ निकालते है और फिर उन्हें मान्यता दी जाती है , जबकि वैक्सीन का असली अविष्कार करने के बावजूद अंधेरे में रह जाते है डॉक्टर रॉय.


फ़िल्म निर्देशक तपन सिन्हा की इस मास्टरपीस में इरफान खान ने एक पत्रकार का रोल निभाया था और उन्होंने पहली बार लोगों को बताया था कि लेप्रोसी की वैक्सीन बनाने वाला और कोई नहीं है बल्कि डॉक्टर रॉय ही है. आज भी पूरी दुनिया को कोरोना वायरस की वैक्सीन की खोज है . किसी को भी पता नहीं पता कि इस खतरनाक वायरस की वैक्सीन बनाने में कौन सफल होगा.


शायद आसमान से इरफान भी उस दिन पर नज़र रखेंगे क्योंकि इत्तेफ़ाक़ ही सही , वो भी बड़े पर्दे पर पहली बार उनकी शानदार अदाकरी की बदौलत जहां उन्होंने एक वैक्सीन के अविष्कारक को लोगों के सामने लाकर खड़ा कर दिया था.