Om Puri Movies: दिग्गज अभिनेता ओम पुरी को थिएटर से बहुत लगाव था. एक बार तो नाटक में पार्टिसिपेट करने के लिए उन्हें छुट्टी नहीं मिली तो उन्होंने नौकरी ही छोड़ दी थी. दरअसल, शुरुआती दिनों में वह चंडीगढ़ में एक वकील के यहां मुंशी थे. एक बार चंडीगढ़ में नाटक में परफॉर्म करना था लेकिन वकील ने उन्हें 3 दिन की छुट्टी देने से मना कर दिया. ओम पुरी इस बात से चिढ़ गए. उन्होंने गुस्से में अपने वकील साहब से कहा, अपनी नौकरी रख लें और मेरा हिसाब कर दें.
जब ओम पुरी के कॉलेज दोस्तों को ये बात पता चली तो उन्होंने प्रिंसिपल से बात की. प्रिंसिपल साहब ने प्रोफेसर से पूछा- कॉलेज में कोई जगह है क्या?वो बोले- एक लैब असिस्टेंट की जगह है, लेकिन इसे क्या पता साइंस के बारे में?
प्रिंसिपल बोले-कोई बात नहीं, लड़के अपने आप कह देंगे, नीली शीशी पकड़ा दे, पीली शीशी पकड़ा दे. इस तरह ओम पुरी का काम चलता रहा. इसी दौरान पटियाला में एक यूथ फेस्टिवल में ओम पुरी ने एक नाटक में भाग लिया. उसके जो जज थे, उनमें से एक हरपाल डिवाना थे. ये नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़े हुए थे.
डिवाना ओम पुरी से बोले- तुम हमारा थिएटर ज्वाइन करो. इस पर ओम पुरी ने कहा-मैं नहीं कर सकता, क्योंकि मैं दिन में नौकरी करता हूं और शाम को कॉलेज जाता हूं.डिवाना बोले- क्या नौकरी करते हो. ओम पुरी बोले- कॉलेज में लैब असिस्टेंट हूं. डिवाना ने जवाब दिया- तुम ऐसा करो कि डे स्कॉलर हो जाओ और नौकरी हमारे यहां करो, साथ ही नाटक में काम करो. यही तुम्हारी नौकरी है. तुम्हें कितनी तनख्वाह मिलती है. ओम पुरी बोले-125 रुपए, तो डिवाना बोले-मैं 150 रुपए दूंगा, तुम आ जाओ. इस तरह ओम पुरी थिएटर से जुड़े और फिर फिल्मों में जगह बनाने में कामयाब रहे.
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