आयुष्मान खुराना का कहना है कि समाज और बॉलीवुड को ऐसे मुद्दों पर मुखर होने की जरूरत है, जो भारत में विविधता को बढ़ावा दें. आयुष्मान ने कहा, "मैंने हमेशा ऐसी फिल्मों को चुनने की कोशिश की है जिनका कोई संदर्भ बिंदु नहीं है और मैंने ऐसा जानबूझकर किया है. मैंने ऐसी फिल्में दी हैं, जो लोगों के और समाज के रवैये में बदलाव लाने के लिए प्रभाव डालें."
बॉलीवुड में बिताए आठ सालों में आयुष्मान ने पहली फिल्म 'विक्की डोनर' में एक स्पर्म डोनर की भूमिका निभाई. इसके बाद 'शुभ मंगल सावधान' में एक शारीरिक दोष वाले व्यक्ति का किरदार निभाया. 'आर्टिकल 15' में एक मजबूत नेतृत्व वाले पुलिस अधिकारी और 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' में समलैंगिक प्रेमी का रोल किया. 'दम लगा के हईशा' और 'बाला' शरीर के आकार-प्रकार से जुड़े मुद्दों पर बनी शानदार फिल्में हैं.
वो कहते हैं, "इन तथाकथित वर्जित विषयों को शायद ही हमारे उद्योग ने छुआ था क्योंकि हम आम तौर पर जानबूझकर ऐसे मुद्दों के बारे में सार्वजनिक रूप से बोलने में कतराते हैं."
आयुष्मान चाहते हैं कि समाज और बॉलीवुड ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अधिक मुखर हो.
उन्होंने कहा, "हम कुछ महत्वपूर्ण और वास्तविक मुद्दों के बारे में बहुत मुखर नहीं हैं जिनके बारे में हमें वाकई बात करनी चाहिए और कई बार करनी चाहिए. मैंने हमेशा महसूस किया है कि यदि ऐसे विषयों पर हम खुलकर सामने लाएं तो एक देश के रूप में विकसित होने में मदद मिलेगी."
आयुष्मान का कहना है कि वह आगे भी 'सकारात्मक बदलाव' के लिए अपनी ये यात्रा जारी रखेंगे.