Netflix और Hotstar जैसे OTT प्लेटफॉर्म की कमाई कैसे होती है? समझें पूरा रेवेन्यू और बिजनेस प्लान
How OTT Make Money: ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इन दिनों फिल्में और सीरीज खूब रिलीज हो रही हैं. आइए जानते हैं कि ओटीटी की कमाई कैसे होती है. ओटीटी का रेवेन्यू मॉडल क्या है.
How OTT Make Money: भारत में नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार और प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म ने घर-घर तक पहुंच बना ली है. ये ओटीटी प्लेटफॉर्म तो सालों से हैं लेकिन कोरोना में इस मार्केट को बड़ा बूम मिला. लॉकडाउन में घर बैठे लोगों ने खूब फिल्में और सीरीज देखीं. कई सारे ऐसे प्लेटफॉर्म भी हैं जो बिना पैसे लिए पब्लिक को फ्री में ही एंटरटेन करते हैं.
क्या आपने कभी सोचा है कि ये ओटीटी प्लेटफॉर्म कैसे कमाई करते हैं? इनका बिजनेस मॉडल क्या है? फ्री में कंटेंट दिखाकर इन्हें कैसे फायदा मिलता है? आज इन्हीं बातों को समझेंगे और जानेंगे कि इनकी कमाई कैसे होती है.
ओटीटी कैसे करता है कमाई?
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स डायरेक्ट विज्ञापन के साथ-साथ सब्सक्रिप्शन फीस से कमाई करते हैं. आप किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जो विज्ञापन देखते हैं वो ओटीटी कंपनी तय करती है कि कौन सा विज्ञापन कब दिखाना है.
विज्ञापन देने वालों के साथ ओटीटी की पार्टनरशिप होती है और ओटीटी कंपनी व्यूवर्स तक उन विज्ञापनों को पहुंचाता है. अगर आपने किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म के एड पर क्लिक कर दिया तो एक रेवेन्यू यहां से जनरेट होता है वहीं दूसरा रेवेन्यू उन विज्ञापनों से जनरेट होता है जिन्हें आप स्किप नहीं कर सकते हैं.
इसके अलावा, सब्सक्राइबर्स से मिली फीस भी कमाई का जरिया होती है. इसके अलावा, अफिलिएट मार्केटिंग और स्पॉन्सरशिप भी कमाई का जरिया होता है.
भारत में ओटीटी के कितने सब्सक्राइबर्स हैं?
- Ormax की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया में 481 मिलियन ओटीटी यूजर्स हैं. वहीं, 101.8 मिलियन एक्टिव पेड (B2C) ओटीटी सब्सक्रिप्शन हैं.
- ओटीटी कंपनियां इनसे 22.62 अरब का रेवेन्यू जनरेट करती हैं. स्टॉक ग्रो के मुताबिक, साल 2025 तक ओटीटी पर 93.67 अरब रेवेन्यू जनरेट करने की उम्मीद लगाई जा रही है.
- ओटीटी पर विज्ञापन सीधे व्यूवर्स तक पहुंचता है और इसमें मिडिएटर का कोई काम नहीं होता तो रेवेन्यू सीधे ओटीटी कंपनी को जाता है.
फिल्म या सीरीज के दौरान विज्ञापन वीडियो के रूप में आते ही हैं और साथ में कुछ बैनर भी चलते रहते हैं. आम भाषा में समझा जाए तो ओटीटी पर पैसा रेवेन्यू जनरेट करने पर आता है और ये रेवेन्यू विज्ञापनों के डायरेक्ट ओटीटी पर आने से होता है. फिल्में, वेब सीरीज या किसी शोज को बनाने वालों से ओटीटी कंपनियां मेकर्स के मुताबिक, कंटेंट खरीद लेती हैं और अपने बिजनेस मॉडल के जरिए खूब पैसा कमाती हैं.
क्या है ओटीटी बिजनेस मॉडल?
टीवीओडी (TVOD): 'ट्रांजेक्शनल वीडियो ऑन डिमांड' इसका फुलफॉर्म है. इसमें कंटेंट देखने के लिए आपको सबस्क्रिब्शन के बाद भी रेंट अवेलेबल का विकल्प देखने को मिलता है. इसमें आप वो कंटेंट रेंट पर लेंगे तब उस कंटेंट को डाउनलोड करने की परमिशन मिलेगा और आप वो कंटेंट देख पाएंगे. इस लिस्ट में कुछ ऐसे कंटेंट्स को रखा जाता है जिनका क्रेज लोगों में ज्यादा होता है.
एसवीओडी (SVOD): 'सबस्क्रिब्शन वीडियो ऑन डिमांड' इसका फुलफॉर्म है. इसमें यूजर्स को 7 दिन, 15 दिन या 1 महीने के लिए पैसे देकर सबस्क्रिब्शन देना होता है. इसके बाद उस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर यूजर्स अपना फेवरेट कंटेंट देख पाता है. जो पैसा सबस्क्रिब्शन से आता है वो सीधा ओटीटी कंपनी के मालिक को जाता है. नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम और डिज्नी प्लस जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म इस कैटेगरी में आते हैं.
एवीओडी (AVOD): 'एडवर्टीजमेंट वीडियो ऑन डिमांड' इसका फुलफॉर्म है. ये सेक्शन पूरी तरह से फ्री रहता है. ऐसे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्म या सीरीज देखने के कोई भी पैसे नहीं लगते हैं. लेकिन इसमें एक टर्म एंड कंडीशन होती है और वो ये कि यहां आने वाले एड वीडियो आप स्किप नहीं कर सकते हैं. इन एड्स को ना चाहते हुए भी आपको देखना होता है और पूरा एड आने का पैसा विज्ञापन कंपनी ओटीटी कंपनी को देती है. इस वाले सेक्शन में बहुत अच्छी कमाई होती है. Hulu और Peacock जैसे प्लेटफॉर्म्स इस कैटेगरी में आते हैं. इसके अलावा, नेटफ्लिक्स और डिज्नी प्लस ने भी एड के साथ सब्सक्रिप्शन प्लान उतारे हैं.
मल्टी स्क्रीन मॉडल: ओटीटी पर कमाई का बिजनेस मॉडल बहुत ही आसान है. अगर किसी के पास ओटीटी का सबस्क्रिब्शन है तो वो स्मार्टफोन के साथ ही लैपटॉप और टीवी पर भी अपनी सुविधा के हिसाब से कंटेंट देख सकता है. हालांकि, अलग-अलग ओटीटी कंपनी इसपर अलग-अलग अमाउंट निर्धारित करती है.
भारत में कब शुरू हुआ ओटीटी का प्रचलन?
साल 2008 में रिलायंस एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन ने BIGFlix नाम का पहला ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था. साल 2010 में nexGTv आया लेकिन उस समय स्मार्टफोन ही ठीक से नहीं आए थे इसलिए ये प्लान फ्लॉप रहे. भारत में साल 2013 में जी5 और सोनी लिव लॉन्च हुए और साल 2015 में डिज्नी प्लस हॉटस्टार लॉन्च हुआ. साल 2016 में नेटफ्लिक्स भारत में लॉन्च हुआ.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2011 में अमेजॉन प्राइम वीडियो भारत में आ गया था लेकिन प्रचलन में नहीं था. साल 2015 के बाद से लोगों में ओटीटी को लेकर थोड़ा-बहुत क्रेज दिखा लेकिन साल 2019 के बाद से ओटीटी पर यूजर्स की लहर सी आई. वैसे बता दें, भारत में सबसे ज्यादा डिज्नी प्लस हॉटस्टार, जी5, नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम वीडियो चलता है.
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