IC814 Controversy: 1999 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन द्वारा इंडियन एयरलाइंस के विमान के हाईजैक पर बनी वेबसीरीज 'आईसी 814' पर काफी विवाद हो रहा है. वहीं अब सरकार ने नेटफ्लिक्स इंडिया के कंटेंट हेड को इस पर समन भेजा है और क्लियरिफिकेशन मांगा है. 


नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट हेड  को किया गया तलब
बता दें कि केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय का ये समन सैकड़ों सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा वेब सीरीज के मेकर्स पर जानबूझकर अपहरणकर्ताओं के नाम बदलकर "भोला" और "शंकर" करने का आरोप लगाने के बाद आया है. नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट हेड मोनिका शेरगिल को वेब सीरीज के कथित विवादास्पद पहलुओं पर क्लीयरिफेकेशन देने के लिए मंगलवार को उनके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है.


 






क्यों हो रहा 'आईसी 814'  विवाद
बता दें कि ये ये वेब सीरीज अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित है और यह फ्लाइट के कैप्टन देवी शरण और पत्रकार सृंजॉय चौधरी की किताब 'फ्लाइट इनटू फियर: द कैप्टन स्टोरी' से इंस्पायर है.आईसी 814: द कंधार हाईजैक 29 अगस्त को नेटफ्लिक्स इंडिया पर रिलीज़ हुई थी. छह-एपिसोड की सीरीज दिसंबर 1999 की रियल लाइफ की घटना पर आधारित है, जब काठमांडू से नई दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 814 को हाईजैक कर लिया गया था. फ्लाइट को अफगानिस्तान के कंधार से पहले कई स्थानों पर उतरने के लिए मजबूर किया गया, जो तालिबान के शासन के अधीन था.


सीरीज में आईसी 814 के अपरहरणकर्ताओं को चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर बताया गया है. अपहर्ताओं का नाम भोला और शंकर बताए जाने से सोशल मीडिया पर आक्रोश फैल गया है क्योंकि नेटिज़न्स ने संभावित आतंकवादियों के लिए हिंदू नामों के इस्तेमाल की आलोचना की. नेटिज़न्स ने एक्स पर "बॉयकॉट नेटफ्लिक्स" ट्रेंड किया है. वहीं अपहर्ताओं के लिए जानबूझकर उनके रियल नामों के बजाय हिंदू नामों का इस्तेमाल करने के लिए निर्देशक अनुभव सिन्हा की भी खूब आलोचना की जा रही है.


'आईसी 814'  विवाद के बीच कंगना ने क्या कहा? 
वहीं एक्ट्रेस टर्न पॉलिटिशियन कगना रनौत ने भी सोमवार को एक एक्स पोस्ट में आईसी 814 विवाद पर रिएक्शन दिया. उन्होंने अपन पोस्ट में लिखा, , "सेंसरशिप केवल हममें से कुछ लोगों के लिए है, जो इस देश के टुकड़े नहीं चाहते."


कंगना ने लिखा, “देश का कानून यह है कि कोई भी बिना किसी परिणाम या सेंसरशिप के ओटीटी प्लेटफार्मों पर खूब हिंसा और नग्नता दिखा सकता है, कोई अपने पॉलिटिकल उद्देश्यों के चलते रियल लाइफ  की घटनाओं को बिगाड़ भीसकता है, कम्युनिस्टों या वामपंथियों के लिए पूरी स्वतंत्रता है दुनिया ऐसी राष्ट्रविरोधी अभिव्यक्तियों के लिए है, लेकिन एक राष्ट्रवादी के रूप में कोई भी ओटीटी प्लेटफॉर्म हमें ऐसी फिल्में बनाने की अनुमति नहीं देता है जो भारत की अखंडता और एकता के इर्द-गिर्द घूमती हैं, ऐसा लगता है कि सेंसरशिप केवल हममें से कुछ लोगों के लिए है जो इस देश के टुकड़े नहीं चाहते और फिल्में बनाते हैं ऐतिहासिक तथ्यों पर. यह बेहद निराशाजनक और अन्यायपूर्ण है,''


 






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