Kakuda Review: इन दिनों मुंज्या फिल्म का काफी हल्ला है. वर्ल्ड ऑफ माउथ पर फिल्म अच्छी चल रही है. अब मुंज्या को डायरेक्ट करने वाले आदित्य सरपोतदर एक और हॉरर कॉमेडी लाए हैं. जी5 पर ये फिल्म आई है, लेकिन क्या ये स्त्री और मुंज्या बन पाई?
कहानी
कहानी शुरू होती है रतौड़ी गांव से, जहां गांव वालों को हर मंगलवार को सवा सात बजे अपने घर में बना छोटा दरवाजा खोलना पड़ता है. अगर घर का कोई पुरुष ऐसा करने में असमर्थ होता है, तो उसका कूबड़ निकल आता है और ठीक 13वें दिन उसकी मौत हो जाती है. गांव में ऐसा क्यों होता है, उसको लेकर अलग-अलग कहानियां हैं. खैर, इस बीच रतौड़ी गांव के सनी यानी साकिब सलीम को दूसरे गांव की इंदू यानी सोनाक्षी सिन्हा से प्यार हो जाता है.
दोनों घर से भागकर शादी करते हैं. उसकी वजह से सनी को दरवाजा खोलने में देरी हो जाती है, जिससे उसका कूबड़ निकल आता है. इंदू उसे दिल्ली के अस्पताल ले जाती है. वहां उसकी मुलाकात घोस्ट हंटर यानी भूत पकड़ने वाले विक्टर यानी रितेश देशमुख से होती है. क्या इंदू सनी को बचा पाएगी? कौन है काकुड़ा जिसके लिए गांव वाले दरवाजा खोलते हैं? इस राज से धीरे-धीरे पर्दा उठता है.
कैसी है फिल्म
ये फिल्म ‘स्त्री’ की तर्ज पर बनी है. शुरू में दिलचस्पी जागती है कि क्या हो रहा है, क्या राज है कि लोग मंगलवार को शाम 7.15 बजे दरवाजा खोलते हैं. फिर धीरे-धीरे फिल्म ट्रैक से हट जाती है और डराते और हंसाते हुए रुलाती भी है. हालांकि फिर ट्रैक पर आती है. ये ‘मुंज्या’ या ‘स्त्री’ नहीं बन पाती लेकिन, अपना काम कर जाती है. अगर टाइम पास करना हो तो फिल्म देखी जा सकती है.
एक्टिंग
सोनाक्षी सिन्हा डबल रोल में हैं और ठीक ठाक हैं, बहुत कमाल नहीं हैं. इससे बहुत बेहतर काम वो कर चुकी हैं. साकिब सलीम अच्छे लगे हैं, उनकी एक्टिंग अच्छी हैं. रितेश देशमुख ने काफी अच्छा काम किया है. पंचायत के दामाद जी आसिफ खान का काम शानदार है.
डायरेक्शन
आदित्य सरपोतदार का डायरेक्शन ठीक है. फिल्म में और मसाले डाले जा सकते थे और स्क्रीनप्ले बेहतर हो सकता था.
कुल मिलाकर हॉरर कॉमेडी पसंद है तो देख सकते हैं
रेटिंग- 3 स्टार्स
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