Mirzapur Season 3 फैंस को क्यों लगी बोरिंग? इन पांच वजहों से जानिए
Mirzapur Season 3: मिर्जापुर सीजन 3 रिलीज हो चुका है, लेकिन लोगों को यह खास पसंद नहीं आ रहा है. आज हम आपके लिए वो पांच प्वाइंट खोजकर लाए हैं, जिनकी वजह से यह सीजन बोरिंग हो सकता है.

Mirzapur Season 3: काफी बज क्रिएट करते हुए जोर-शोर के साथ मिर्जापुर सीजन 3 रिलीज कर दिया है. जो लोग इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, उन्होंने फटाफट इसे निपटा डाला है. इस बार के सीजन में पिछली दोनों बार की अपेक्षा काफी भारी भरकम एपिसोड रहे, यानि एक-एक घंटे के 10 एपिसोड. इस वेब सीरीज के पहले दोनों पार्ट्स जबरदस्त हिट रहे तो मेकर्स ने सीजन 3 के लिए भी चार साल के बार खूब माहौल क्रिएट किया. लेकिन इस बार के सीजन में वाओ फैक्टर नहीं देखने को मिला. अगर आपने अभी तक मिर्जापुर सीजन 3 नहीं देखा है और देखना चाह रहे हैं तो इससे पहले यह रिपोर्ट पढ़ डालिए कि आखिर पिछले दोनों बार की तरफ इस बार आपको वाओ जैसा कुछ क्यों नहीं लगेगा.
मुन्ना भइया की कमी
इस सीरीज की जब शुरुआत हुई थी तो मुन्ना भइया ने ही सबसे ज्यादा हाइप क्रिएट की थी. एक बड़े बाहुबली के बिगड़ैल बेटे का तगड़ा रोल प्ले किया था उन्होंने. सीजन 1 और 2 दोनों में उनकी दबंगई का जलवा देखने को मिला था और लोगों को खूब पसंद भी आया था. इस कैरेक्टर की अपनी फैन फॉलोइंग है. उनके डायलॉग्स जैसे- ‘अबे पढ़ाई-लिखाई करो आईएएस वाईएएस बनो देश को संभालो…लेकिन नहीं….’. उनके इस अंदाज को फैंस ने बहुत मिस किया है. इस सीजन का सबसे बड़ा मिसिंग फैक्टर मुन्ना भइया ही हैं.
नो अपीलिंग कैरेक्टर्स
मिर्जापुर के पिछले दोनों सीजन में कई ऐसे किरदार रहे जिन्होंने अपने किरदार से दर्शकों की मौज कर दी. जैसे रॉबिन, ललित, लाला आदि. इस सीजन में रॉबिन और लाला पर कुछ खास फोकस नहीं किया गया. वहीं सीरीज में ऐसे नए किरदार भी नहीं लाए गए जो कि दर्शकों की मौज करा सकें.
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बढ़िया डायलॉग्स की कमी
मिर्जापुर के पिछले दोनों पार्ट्स में डायलॉग्स बहुत जोरदार थे. जैसे रॉबिन का बात-बात पर ‘ये भी ठीक है’ कहना. या फिर रऊफ लाला का वो डायलॉग ‘बड़े ह*** हो बेटा…’ जो मीम बन चुका है. मुन्ना भइया का डायलॉग, ‘हम अमर हैं बे तुम नहीं…’. इस तरीके के कुछ डायलॉग्स इस बार तो देखने को नहीं मिले. हां इस सीजन में गाली-गलौज ज्यादा होने के आरोप जरूर लगे. जो आम बोलचाल में चलन में है, उसे वैसा ही दिखाने के लिए खूब गालियों का इस्तेमाल किया गया है.
कालीन भैया का कम स्क्रीन टाइम
पिछले सीजन में कालीन भैया, गुड्डू पंडित की गोलियों से घायल हो गए थे. उनको शक्ला और त्यागी ने बचाया था. इस सीजन में उनका इलाज चल रहा था. ऐसे में कालीन भैया के कैरेक्टर पर इस बार ज्यादा मेहनत नहीं की गई है. इस सीजन में वह किसी तरह की मारधाड़ करते भी नहीं दिखे हैं. कालीन भैया इस सीरीज की जान हैं, ऐसे में उनका रोल कम कर देने पर रौनक तो चली ही जाएगी.
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लंबे-लंबे एपिसोड
अब इस सीजन में ज्यादा ग्रिपिंग न होने के चलते जब इतने लंबे-लंबे एपिसोड दिखाए जाएंगे तो वह उबाऊ तो हो ही जाएंगे. ऐसे में ये भले ही आखिरी प्वाइंट है लेकिन काफी अहम हो जाता है. पिछली दोनों सीरीज 8 एपिसोड में निपट गई थीं, लेकिन इस बार 10 एपिसोड तक खींच दिया. ऐसे में बोरिंग फील करने के लिए यह भी एक वाजिब वजह है.
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