‘जहां भी जाता हूं लोग प्रधान जी कहकर बुलाते हैं’, Panchayat Season 3 की सफलता से खुशमखुश हुए रघुबीर यादव
Raghubir Yadav Talked About Panchayat Season 3 Success: रघुबीर यादव सिनेमा की दुनिया की दिग्गज और बेहतरीन कलाकार हैं. उनका कहना है कि पंचायत की सफलता के बाद लोग उनको प्रधान जी के नाम से बुलाते हैं.
Raghubir Yadav Talked About Panchayat Season 3 Success: पंचायत वेब सीरीज की सफलता इसके सितारों के सिर चढ़कर बोल रही है. लेकिन इस सीरीज के लगभग सभी सितारे ऐसे हैं, जिनको तुरंत सफलता का स्वाद नहीं नसीब हुआ है. इसी में से एक हैं प्रधान जी यानि रघुबीर यादव. रघुबीर यादव को इंडस्ट्री में सफलता पाने के लिए करीब चार दशक का इंतजार करना पड़ा है. दिग्गज अभिनेता ग्रामीण और राजनीति पर आधारित कॉमेडी वेब सीरीज में प्रधान जी के किरदार में लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं. रघुबीर यादव ने हाल ही में इस मुद्दे पर बात की कि उनको सीरीज के बाद से कितना प्यार मिल रहा है.
‘जहां भी जाता हूं लोग प्रधान जी कहते हैं’
रघुबीर यादव ने हाल ही में पीटीआई से बातचीत करते हुए बताया, ‘मैं जहां भी जाता हूं, लोग मुझे प्रधान जी कहते हैं. अभी मैं वाराणसी में शूटिंग कर रहा हूं और लोग सोच रहे हैं कि प्रधान जी हमारे बीच क्या कर रहे हैं. शो के बारे में बात करते हुए 66 वर्षीय रघुबीर यादव ने कहा, ‘मैं इसे तभी देखूंगा जब इसके सारे सीजन रिलीज हो जाएंगे. अभी मैं सिर्फ शो की क्वालिटी के बारे में चिंता करता हूं. अभी से मैं सीरीज की सफलता को लेकर बहुत खुश या दुखी नहीं होना चाहता’.
‘गांव में अभी भी सहजता और सरलता बची है’
बता दें कि इस सीरीज में एकबार फिर से दर्शकों के सामने वही पुराने थोड़ा सा कन्फ्यूज प्रधान जी की छवि पेश की गई है. जो हमेशा अपने गांव के लोगों के लिए तैयार तो दिखते हैं, लेकिन कभी-कभी थोड़ा सा भटक भी जाते हैं. मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहने वाले रघुबीर यादव ने कहा कि वह ऐसे ही गांव में पले-बढ़े हैं. रघुबीर यादव ने कहा, ‘गांव में अभी भी वह सहजता और सरलता बची है, जो कि हमने इस सीरीज में दिखाने की कोशिश की है’.
‘असल जिंदगी से आए हैं पंचायत के किरदार’
इंटरव्यू के दौरान रघुबीर यादव आगे कहते हैं, ‘ऐसा लगता है कि पंचायत के किरदार असल जिंदगी से आए हुए हैं, ये अलग से गढ़े नहीं गए हैं. मेरे पास ऐसे बहुत से किरदार थे और यह सब मैंने बचपन में खूब देखा है. थिएटर के जमाने में भी ये चीजें देखी हैं’.
थिएटर्स के दौरान भूखे रहते थे रघुबीर यादव
रघुबीर यादव ने अपने थिएटर्स के दिनों को याद करते हुए कहा, ‘चाह को राह होती है, मैंने घर छोड़ने के बाद पारसी थिएटर कंपनी ज्वाइन की, जिसे अनु कपूर के पिता चलाते हैं. उस वक्त मुझे रोज के ढाई रुपये मिलते थे और मैंने वहां छह साल तक काम किया. वह मेरी जिंदगी के बेहतर दिनों में से एक थे. हम भूखे जरूर रहते थे, लेकिन उस भूख ने बहुत कुछ सिखाया. आज भी जब तक थोड़ी सी परेशानी न हो तो मजा नहीं आता’.
यह भी पढ़ें: 'पवन सिंह ने पैर छूने को किया था मजबूर, गुस्से में टीवी-टेबल दे मारा', Akshara Singh ने रो-रोकर बताया था हाल