Rautu Ka Raaz Review: आपको पहाड़ पसंद हैं, जिस तरह पहाड़ों में जिंदगी की रफ्तार जरा सुस्त होती है, सब कुछ आराम से चलता है. उसी तरह की ये फिल्म है, ये भी आराम से चलती है. सुस्ती के साथ, मामला एक मर्डर का है लेकिन जांच पहाड़ों वाली सुस्ती से होती है लेकिन ये सुस्ती मजेदार है, दिलचस्प है और आपको बांधे रखती है. बाकी काम नवाजुद्दीन सिद्दीकी और राजेश कुमार की शानदार एक्टिंग ने किया है.


कहानी
उत्तराखंड में राउतू नाम की जगह पर एक स्कूल के हॉस्टल की वार्डन का मर्डर हो जाता है. स्कूल वाले कहते हैं कि नींद में ही चल बसीं, पुलिस जांच के लिए आती है. शुरू में पुलिस को भी लगता है कि नेचुरल डेथ है लेकिन फिर कुछ राज सामने आते हैं और वही इस फिल्म की कहानी है. जिसे जी 5 पर देखिएगा, क्योंकि स्पॉयलर नहीं दिया जा सकता. 


कैसी है फिल्म
ये एक अपनी रफ्तार से चलती ईमानदार और साफ सुथरी फिल्म है. यहां ढिंचैक म्यूजिक नहीं है, हीरोगीरी नहीं है, डायलॉगबाजी नहीं है लेकिन फिर भी फिल्म दिल जीतती है. मर्डर की जांच में धीरे धीरे जो राज सामने आते हैं, जो किरदार सामने आते हैं वो दिलचस्पी बनाए रखते हैं. कुछ ऐसा नहीं होता जो बहुत शॉकिंग हो, हिला डाले, लेकिन हमेशा ऐसी ही फिल्में तो अच्छी नहीं होती ना. कभी कभार ऐसी सुस्त फिल्में देखने में भी मजा आता है और आपको ये फिल्म देखते हुए मजा आएगा. हां कुछ चीजें आपको हजम नहीं होंगी, आपको लगेगा कि ऐसा कैसे हो सकता है. ये तो गैर कानूनी है लेकिन फिल्मवालों ने इसे ही क्रिएटिव लिबर्टी का नाम दिया है तो वहां थोड़ा एडजस्ट कर लीजिएगा.


एक्टिंग
नवाजुद्दीन सिद्दीकी एसएचओ दीपक नेगी के किरदार में हैं जो तेज भी हैं और अजीब भी. ऐसा फिल्म में दो बुजुर्ग चार पांच बार आकर बताते हैं, लेकिन वाकई में नेगी साहब ऐसे ही हैं. नवाज ने इस किरदार के साथ पूरी तरह से जस्टिस की है. इसे हीरोइक बनाने की कोशिश नहीं की. इसमें पहाड़ों वाली सादगी रखी है, सिंपल रखा है, और इसी वजह से आप इस किरदार से जुड़ते हैं. नवाज का काम यहां काफी अच्छा है. राजेश कुमार एसआई नरेश प्रभाकर के किरदार में हैं जो काफी मजेदार है. ये किरदार उनपर काफी सूट भी किया है. वो अपने कॉमिक पंच से फिल्म को मजेदार बनाते हैं और नवाज का बखूबी साथ देते हैं. बाकी के सारे सहयोगी कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है.


डायरेक्शन
आनंद सुरापुर ने फिल्म को डायरेक्ट किया है और ऐसा लगता है कि वो पहाड़ों की शांति, सादगी को बखूबी समझते हैं. ये फिल्म देखकर आप उत्तराखंड की सैर कर आएंगे. मर्डर मिस्ट्री को भी सुस्त तरीके से बनाया जा सकता है ये आनंद ने दिखाया है. हालांकि कहीं कहीं कॉमेडी के पंच ढीले हैं, वो दुरुस्त किए जा सकते थे और कहीं कहीं जबरदस्ती का ह्यूमर डलाने की कोशिश की गई है जिसकी जरूरत नहीं थी.


कुल मिलाकर आराम से इस फिल्म को आप एन्जॉय कर सकते हैं, मजा आएगा.


रेटिंग-3 स्टार 


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