पाकिस्तानी डॉक्टर के बाद विवेक अग्निहोत्री ने की ‘हीरामंडी’ की आलोचना, बोले- ‘तवायफों और रेड लाइट एरिया को खूबसूरत दिखाना बॉलीवुड की फितरत’
Vivek Agnihotri Criticized Heeramandi: संजय लीला भंसाली की सीरीज हीरामंडी की तारीफ और आलोचना दोनों हो रही है. इसी क्रम में विवेक अग्निहोत्री ने भी हीरामंडी की आलोचना की है.

Vivek Agnihotri Criticized Heeramandi: संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज इन दिनों खूब चर्चा में बनी हुई है. सीरीज बहुत ही रॉयल है और इसकी जमकर तारीफ हो रही है. हीरामंडी में मनीषा कोइराला, फरदीन खान, ऋचा चड्ढा, संजीदा शेख, शेखर सुमन जैसे बेहतरीन सितारे नजर आ रहे हैं. इस सीरीज में दिखाया गया है कि ब्रिटिश राज में तवायफों की जिंदगी कैसी होती थी. सभी सितारों ने सीरीज में दमदार एक्टिंग की है. हाल ही में इस सीरीज की पाकिस्तानी डॉक्टर ने आलोचना की थी. वहीं अब विवेक अग्निहोत्री का भी हीरामंडी पर रिएक्शन आया है.
हीरामंडी में दिखाई तवायफों की जिंदगी
हम दिल दे चुके सनम, बाजीराव मस्तानी, रामलीला जैसी शानदार फिल्में देने के बाद संजय लीला भंसाली हीरामंडी लेकर आए हैं. इस सीरीज में सेलेब्स की कॉस्ट्यूम, ज्वैलरी, सेट और अन्य चीजें भंसाली ने बहुत ही रॉयल तरीके से दिखाई हैं. इसके अलावी कहानी भी रॉयल है, लेकिन कुछ लोगों को संजय लीला भंसाली का तवायफों की जिंदगी की कहानी दिखाना रास नहीं आ रहा है और उन्होंने कहा है कि यह भंसाली की अब तक की सबसे कमजोर कहानी है. इसी क्रम में विवेक अग्निहोत्री ने भी पाकिस्तानी यूजर्स को सपोर्ट किया है.
क्या बोले विवेक अग्निहोत्री
पाकिस्तान के एक डॉक्टर की आलोचना विवेक अग्निहोत्री ने कहा, ‘मैंने यह शो तो नहीं देखा, लेकिन मैं हीरामंडी कई बार गया हूं. तवायफों और रेड लाइट एरिया को खूबसूरत तरीके से दिखाने की बॉलीवुड की फितरत है. रेड लाइट एरिया ग्लैमर या ब्यूटी की जगह नहीं है और यह बहुत दुख की बात है. जो लोग इसे नहीं जानते उनको श्याम बेनेगल की फिल्म मंडी देखनी चाहिए’.
A brilliant critique by @_SophieSchol. I haven’t seen the show, but I have visited Heeramandi in Lahore a few times. Bollywood has this tendency to romanticize courtesans and brothels. It’s a sad commentary because brothels have never been places of opulence, glamour or beauty.… https://t.co/D56qU0Zyg0
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) May 4, 2024
झुग्गी में रहने वालों को इस तरह दिखाना कितना सही?
उन्होंने आगे कहा, इसके साथ ही हमें एक सवाल पूछना चाहिए कि, क्या कला हमें किसी इंसान के दर्द को ग्लैमराज करने की आजादी देती है? क्या ऐसी फिल्में बनाना ठीक है, जिसमें झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों की जिंदगी को शान और शौकत के साथ दिखाया गया हो? झुग्गी में रहने वालों को इस तरीके से दिखाया गया हो कि वह अंबानी की पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं?
यह भी पढ़ें: ‘तलवार तो अभी लटक रही है…’, Covid Vaccine बनाने वाली कंपनी के खुलासे के बाद क्या बोले बी-टाउन सेलेब्स?
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

