(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या है OTT? कब हुई थी इसकी शुरुआत? वेब सीरीज़ की बात आते ही क्यों होता है इसका ज़िक्र, जानें सब कुछ
What Is OTT : ओटीटी...पिछले दो सालों में आपने इस शब्द का जिक्र लगभग हर शख्स की जुबान से सुनो होगा.
What Is OTT : ओटीटी...पिछले दो सालों में आपने इस शब्द का जिक्र लगभग हर शख्स की जुबान से सुना होगा. क्या गांव, क्या शहर, क्या बच्चा, क्या बूढ़ा... दो सालों में 'ओटीटी' प्लेटफॉर्म्स ने लोगों की जिंदगी में वो जगह ले ली है कि अब आप उठते-बैठते, जब चाहें बस अपना फोन उठाते हैं और मन के मुताबिक सीरीज़, शोज़ और फिल्म देखना शुरू कर देते हैं.ओटीटी ने लोगों तक मनोरंजन पहुंचाने के रास्ते को इतना आसान बना दिया है कि अब थिएटर्स में सन्नाटे पसरने लगे हैं.
आलम ये है कि लोग अब फिल्म देखने सिनेमाघरों में जाना ही नहीं चाहते, बल्कि वो इंतज़ार करते हैं कि 'यार जब किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ जाएगी तब देख लेंगे'. इस वजह से कई बड़े स्टार्स की फिल्म बड़े पर्दे पर बुरी तरह पिट चुकी हैं और बॉक्स ऑफिस की तो मानो बैंड बज चुकी है. पर अब सवाल ये उठता है कि जो ओटीटी शब्द लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी में पानी की तरह घुल गया है आखिर वो है क्या? और कैसे ये बिजनेस करता है? तो चलिए आज हम आपको आसान भाषा में यही बताते हैं कि आखिर ये ओटीटी बला है क्या?
क्या है ओटीटी?
सबसे पहले तो हम आपको बता दें कि ओटीटी की फुल फॉर्म होती है 'ओवर द टॉप' (Over-the-Top), एक ऐसा प्लेटफॉर्म जो कुछ और प्लेटफॉर्म्स की मदद से आपके फोन पर ही आपको तमाम तरह की फिल्में, सीरीज़ और शोज़ प्रोवाइड करता है. रोमांटिक, थ्रिलर, एक्शन से लेकर तमाम तरह का कंटेंट आपको अलग-अलग ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर मिल जाता है. कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ऐसे होते हैं जिनपर कंटेंट देखने के लिए आपको भुगतान करना पड़ता है, तो कुछ ऐसे भी हैं जहां आपको फ्री में कंटेंट मिलता है. हां, लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कुछ भी देखने के लिए आपके फोन में इंटरनेट सुविधा होना ज़रूरी है.
कहां से हुई शुरुआत...भारत में कब आया?
ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत सबसे पहले अमेरिका में हुई थी. धीरे-धीरे इसने भारत में अपनी पकड़ बनाई और अब तो मानो लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत साल 2008 में हुई और इसका श्रेय रिलायंस एंटरटेनमेंट को जाता है. भारत में सबसे पहला ओटीटी प्लेटफॉर्म Bigflix लॉन्च हुआ जिसे रिलायंस एंटरटेनमेंट ने लॉन्च किया. उसके बाद साल 2010 में Digivive ने NEXG TV नाम से ओटीटी मोबाइल एप लॉन्च किया जिसमें वीडियो ऑन डिमांड के साथ टीवी भी देखा जा सकता था. अब तो भारत में कई तरह के ओटीटी प्लेटफॉर्म्स लॉन्च हो चुके हैं जैसे नेटफ्लिक्स, वूट, डिज़्नी प्लस हॉटस्टार, जी5, अमेज़न प्राइम वीडियो, ऑल्ट बालाजी वगैरा वगैरा.
कैसे होता ओटीटी पर बिजनेस...?
अब आप सोच रहे होंगे कि सनेमाघरों में तो टिकट का पैसे जाता है, फिल्में रिलीज़ करने के लिए प्रोडक्शन हाउस की तरफ से पैसे दिए जाते हैं और भी बहुत कुछ...पर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का बिजनेस कैसे होता है? तो चलिए ये भी हम आपको बता देते हैं. ओटीटी प्लेटफॉर्म तीन तरह काम करता है. TVOD यानी Transactional Video On Demand, SVOD यानी Subscription Video On Demand और AVOD Advertising Video On Demand.
टीवीओडी यानी जब यूज़र किसी प्लेटफॉर्म से कुछ डाउनलोड करता है तो उसे इसके लिए पैसे देने पड़ते हैं. हर बार डाउनलोड करने पर पैसे देने होते हैं यानी ट्रांजेक्शन होता है. फिर आता है एसवीओडी, इसमें यूजर एक महीने या कुछ दिन के लिए (प्लान के मुताबिक) एक बार पैसे देता है और महीनेभर तक जी भर के अपना पसंदीदा कंटेंट देखता है. एवीओडी, इसमें यूजर को कोई चार्ज तो नहीं देना पड़ता पर कंटेंट देखने के दौरान बीच में कई बार एड्स आते हैं जिन्हें आप स्किप भी नहीं कर पाते. इन एड्स के लिए भी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को पैसे दिए जाते हैं. इन विज्ञापनों के ज़रिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की तगड़ी कमाई होती है. तो इस तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स अपनी कमाई करते हैं.