पालघर साधु हत्याकांड पर बनी शॉर्ट फिल्म, यूट्यूब पर कल होगी रिलीज
इस शॉर्ट फिल्म का नाम 'संहार: द मैस्सेकर' है, जिसे पुनीत इस्सर के बेटे सिद्धांत इस्सर ने निर्देशित किया है. उल्लेखनीय है कि यह शॉर्ट फिल्म पालघर साधु हत्याकांड की पहली बरसी यानी 16 अप्रैल, 2021 को एक यूट्यूब चैनल पर रिलीज की जाएगी.

मुंबई: 16 अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दौरान एक साधु के अंतिम संस्कार में जाते वक्त मुंबई से सटे पालघर इलाके में दो साधुओं की गांव की उन्मादी भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. देशभर के लोगों को गुस्से से भर देने वाली इस इस घटना से प्रेरित होकर एक शॉर्ट फिल्म बनाई गई है, जिसमें पुनीत इस्सर मुख्य भूमिका में एक साधु के वेश में नजर आएंगे.
इस शॉर्ट फिल्म का नाम 'संहार: द मैस्सेकर' है, जिसे पुनीत इस्सर के बेटे सिद्धांत इस्सर ने निर्देशित किया है. उल्लेखनीय है कि यह शॉर्ट फिल्म पालघर साधु हत्याकांड की पहली बरसी यानी 16 अप्रैल, 2021 को एक यूट्यूब चैनल पर रिलीज की जाएगी. इस फिल्म के बारे में एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए अभिनेता पुनीत इस्सर ने कहा, 'आखिर उन दो साधुओं की क्या गलती थी? उनको क्यों इस तरह से पुलिस की मौजूदगी में पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया?'
सोची समझी रणनीति
पुनीत इस्सर इस बात को नहीं मानते हैं कि पालघर में एक 70 और 35 साल के दूसरे साधु की हत्या गांववालों में फैली अफवाह का नतीजा थी. वे कहते हैं, 'एक सोची समझी रणनीति के तहत दोनों साधुओं को मौत के घाट उतारा गया. साधुओं की इन हत्याओं के पीछे आखिर क्या साजिश थी, इसी बात को उजागर करने के लिए ही इस शॉर्ट फिल्म को बनाया गया है ताकि इस हत्याकांड की सच्चाई से दुनिया वाकिफ हो सके.'
पुनीत इस्सर के डायरेक्टर बेटे सिद्धांत ने एबीपी न्यूज़ से कहा, 'जब पालघर में इन साधुओं की निर्मम हत्या की गई तो न किसी ने कैंडल मार्च निकाला और न ही किसी ने पुरजोर अंदाज में इस पर अपना विरोध दर्ज कराया. इसी बात ने मुझे बहुत विचलित किया, जिसके चलते मैंने 'संहार: द मैस्सेकर' बनाने का फैसला किया.'
पुनीत इस्सर ने कहा कि इस देश में सदियों से साधुओं के जरिए किए गए नेक कामों की एक लंबी परंपरा रही है और साधुओं के गौरवशाली इतिहास की अनदेखी कर इस तरह से साधुओं का मारा जाना बेहद शर्मनाक किस्म की घटना थी. पुनीत इस्सर ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि ये फिल्म न सिर्फ साधुओं के प्रति दर्शाई गई निर्ममता के खिलाफ आवाज उठाती है, बल्कि इस फिल्म में गौरक्षा पर जोर देते हुए गौवध की परंपरा का भी पुरजोर ढंग से विरोध किया गया है.
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