किसने कहा था लता मंगेशकर से कि तुम्हारी जरुरत यहां नहीं मुंबई में है
पिता के निधन के बाद लता मंगेशकर के जीवन में संकटों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन लता ने कभी चुनौतियों से हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से बन गई पूरे देश की आवाज.
नई दिल्ली: भारत रत्न लता मंगेशकर को देश की आवाज माना जाता है. पूरा भारत इस आवाज पर नाज करता है. लेकिन लता मंगेशकर के हुनर को पहली बार किसने पहचाना आइए जानते हैं-
लता मंगेशकर के पिता दिनानाथ मंगेशकर मराठी रंगमंच के बड़े कलाकार थे.लता मंगेशकर जब सिर्फ 13 की साल की थीं तो अचानक उनके पिता का देहांत हो गया. पूरे परिवार पर संकट टूट पड़ा. आर्थिक स्थिति खराब हो गई. तब लता मंगेशकर ने अपने भाई बहनों और परिवार को सहारा देने के लिए गाना शुरू किया. लता मंगेशकर के लिए गायिका बनने की राह आसान नहीं थी,सफल होने के लिए लता मंगेशकर को भी संघर्ष करना पड़ा.
देश की आजादी से पहले ही लता मंगेशकर ने गाना शुरू कर दिया था,एक थियेटर कंपनी में उन्होने बतौर कोरस आर्टिस्ट की नौकरी कर ली. यह कंपनी महाराष्ट्र के कोल्हापुर में थी. इस कंपनी में कोरस गाने पर लता को हर माह 30 रुपये मिला करते थे. यह बात 1945 की है. इस साल मशहूर अभिनेत्री और गायिका नूरजहां एक फिल्म कर रहीं थी,जिसकी शूटिंग कोल्हापुर में हो रही थी.
इस फिल्म का नाम बड़ी मां था. इस फिल्म के सभी गीत जिया सरहदी ने लिखे थे. जिया सरहदी और नूरजहां एक साथ शूटिंग के मुंबई से कोल्हापुर आया करते थे. एक बार दोनों बातें कर रहे थे, तभी पीछे से उन्हें बेहद सुराली आवाज सुनाई दी. इस आवाज को सुनकर दोनों हैरत में पड़ गए. वहां काम कर रहे लोगों से पूछा कि यह कौन है जो जिसकी आवाज इतनी सुराली है. तो बताया गया कि ये आवाज लता मंगेशकर की हैं जो थियेटर कंपनी में होने वाले नाटकों में कोरस गाया करती हैं.
इस पर नूरजहां ने कहा कि इस आवाज में तो जादू हैं,इसके बाद उन्होने लता मंगेशकर को बुलाया और कहा कि तुम्हारी जरूरत यहां नहीं है, मुंबई है. इसके बाद नूरजहां ने लता मंगेशकर को मुंबई आने का न्यौता दिया इसके बाद लता मंगेशकर ने मुंबई आकर फिल्मों में गायिका के तौर पर गाना शुरू किया. इसके बाद लता मंगेशकर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.