दिल्ली की सीमा पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का, पंजाबी गायक अपने लुभावने गीतों के साथ समर्थन कर रहे हैं. इन्ही में से एक गीत के बोल हैं “मुड़दे नी लेये बिना हक, दिल्लिये” यानी दिल्ली हम अपना हक लिए बिना वापस नहीं लौटेंगे. इससे पंजाबी किसानों का नए कानूनों को रद्द करने की मांगों के प्रति दृढ़ निश्चय झलक रहा है.
किसानों के संघर्ष पर बने ये गीत सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों में खासा पसंद किए जा रहे हैं. पिछले कई महीनों से किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रहे जाने-माने पंजाबी गायक और अभिनेता हरभजन मान ने कहा कि वह बुधवार को वह एक नया गाना लेकर आए थे.
“मुड़दे नी लेये बिना हक, दिल्लिये” के गायक मान ने कहा कि छह महीने का राशन लेकर किसान वहां विरोध करने पहुंचे हैं क्योंकि ये उनके खेतों और अस्तित्व की लड़ाई है.
गाने के वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे किसानों ने दिल्ली के रास्ते में पानी की बौछारों का सामना किया और पुलिस के बैरीकेड तोड़े. करीब एक महीने पहले मान ने एक और गाना “अन्नदाता, खेत साड्डी मां, खेत साड्डी पग” (खेत हमारी मां हैं, खेत हमारी शान हैं) जारी किया था.
गायक कंवर ग्रेवाल का गीत, “ऐलान, तेन्नू दिल्लिये एकट्ठ परेशान करुगा, पर फसलां दे फैसले किसान करुगा' (दिल्ली, यह सभा आपको परेशान करेगी लेकिन केवल किसान ही फसलों की कीमत तय करेंगे) भी प्रदर्शनकारियों के बीच लोकप्रिय हो रहा है.
ग्रेवाल का एक और गाना 'पेचा' भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. गायकों का कहना है कि वे भी किसानों के बच्चे हैं और कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना उनके लिये स्वाभाविक है.
एक अन्य मशहूर गायक जसबीर जस्सी ने कहा कि यह अच्छी बात है कि पंजाबी कलाकार किसानों का समर्थन कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने पंजाबी कलाकारों और गायकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि वे 'काले कानूनों' के खिलाफ विरोध कर रहे किसानों के साथ एकजुटता से खड़े हैं. सिद्धू मूसेवाला, बब्बू मान और हर्फ चीमा सहित कई पंजाबी गायक पहले ही किसानों के लिए अपना समर्थन व्यक्त कर चुके हैं.