Rahat Indori : ‘मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था’, कपिल शर्मा के शो पर बांधा था शेरो- शायरी का ऐसा समां
70 साल की उम्र में मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन हो गया है. राहत इंदौरी ने इंदौर के अस्पताल अरबिंदो में अंतिम सांसे ली. राहत इंदौरी ने अपनी शायरी और गजलों से कई गाने भी लिखे हैं.
![Rahat Indori : ‘मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था’, कपिल शर्मा के शो पर बांधा था शेरो- शायरी का ऐसा समां Rahat Indori Even if I would have survived I was going to die one day it was tied on the show of Kapil Sharma Rahat Indori : ‘मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था’, कपिल शर्मा के शो पर बांधा था शेरो- शायरी का ऐसा समां](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/08/12014648/rahat2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
मशहूर शायर राहत इंदौरी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है, उनका इंतकाल दिल का दौरा पड़ने से हुआ है. कोरोना वायरस से संक्रमित होने की वजह से वो अस्पताल में भर्ती थे. 70 साल की उम्र में 11 अगस्त को राहत इंदौरी ने आखिरी सांस ली. राहत इंदौरी जितने उम्दा शायर थे उतने की शानदार गीतकार भी थे. सोशल मीडिया पर उनसे जुड़े कई वीडियो काफी वायरल हो रहे है. उसी में से एक वीडिया है जो काफी वायरल हो रहा है, वो वीडियो शो 'द कपिल शर्मा शो' के सेट का है, जिसमें वो शायरी सुनाते नजर आ रहे हैं.
सोनी टेलीविजन ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर शायर राहत इंदौरी को याद करते हुए एक वीडियो शेयर किया है. जिस वीडियो को कई लोग देख चुके है. शो 'द कपिल शर्मा शो' के वीडियो में राहत इंदौरी, कपिल शर्मा के कहने पर एक शायरी सुनाते हैं. वो कहते हैं, ‘मुझमें कितने राज हैं बतलाऊं क्या, मुझमें कितने राज हैं बतलाऊं क्या. बंद एक मुद्दस से हूं, खुल जाऊं क्या. आजजी मिन्नत, खुशामत इल्तिजा, और मैं क्या-क्या करूं, मर जाऊं क्या.’
राहत इंदौरी का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में एक जनवरी 1950 को हुआ था. शायरी की दुनिया में कदम रखने से पहले, वो एक चित्रकार और उर्दू के प्रोफेसर थे. उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिये गीत भी लिखे थे और दुनिया भर के मंचों पर काव्य पाठ किया था. इंदौरी के निधन की खबर आने के बाद सोशल मीडिया में शोक की लहर दौड़ गई. सोशल मीडिया यूजर्स उनके शेर और शायरी लिखकर भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उन्हें याद कर रहे हैं.
राहत इंदौरी के यादगार शेर:
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए
वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया
सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
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