राज कपूर हिंदी सिनेमा जगत की एक ऐसी शख्सियत थे जिनके बारे में जितना बोला और लिखा जाए कम होगा. राज कपूर द्वारा की गई कुछ ऐसी कमाल की फिल्मों के बारे में जो आर के बैनर की नहीं थीं, बावजूद इसके यह अपने समय की सुपरहिट फ़िल्में साबित हुई थीं.
फिर सुबह होगी
1958 में आई रमेश सहगल की फिल्म ‘फिर सुबह होगी’ में राज कपूर ने एक ऐसे शरीफ आदमी का किरदार निभाया है जिससे गलती से खून हो जाता है. फिल्म में एक के बाद एक कई मोड़ आते हैं जिन्हें देखना अपने आप में रोमांचक है. फिल्म का संगीत खय्याम और साहिर लुधियानवी के हवाले था जिसे सुनकर आज भी कानों में सुकून मिलता है.
दास्तान
फिल्म 'दास्तान' 1950 में रिलीज हुई थी. यह फिल्म लव ट्रायंगल पर आधारित थी जिसमें राज कपूर साहब ने एक ऐसे शख्स का किरदार निभाया था जो अपने प्यार से खुश नहीं है. फिल्म में सुरैया ने गीत गाए हैं और म्यूजिक, इंडस्ट्री के ख्यात संगीतकार नौशाद साहब का दिया हुआ है.
चोरी- चोरी
1956 में आई फिल्म चोरी- चोरी, ऐसी आखिरी फिल्म थी जिसमें नर्गिस और राज कपूर साहब की जोड़ी देखने को मिली थी. यह फिल्म 1934 में आई हॉलीवुड फिल्म ‘इट हैपंड वन नाइट’ का रीमेक थी. फिल्म में राज कपूर एक पत्रकार बने हैं और नर्गिस एक अमीर महिला के रोल में हैं जो सच्चे प्यार की तलाश में घर से भागी हुई हैं.
अंदाज़
दिलीप कुमार, राज कपूर और नर्गिस जैसे कलाकारों से सजी फिल्म ‘अंदाज़’ सन 1949 में रिलीज हुई थी. यह फिल्म भी लव ट्रायंगल पर आधारित है जिसमें दोनों ही कलाकार राज कपूर और दिलीप कुमार यह सोचते हैं कि नर्गिस उन्हें पसंद करने लगी हैं. फिल्म में आगे क्या-क्या मोड़ आते हैं यह देखने लायक है.
शारदा
1957 में आई फिल्म 'शारदा' अपने समय से बहुत आगे की फिल्म थी. इस फिल्म में दिखाया है कि राज कपूर का एक्सीडेंट हो जाता है जिसके चलते लंबे समय तक उनका कोई अता-पता नहीं चलता है. इस बीच राज कपूर की प्रेमिका रहीं मीना कुमारी की शादी हो जाती है. जब राज कपूर वापस आते हैं तो देखते हैं कि मीना कुमारी की शादी उनके पिता से ही हो चुकी है. यह सब देखने के बाद राज कपूर गहरे सदमे में चले जाते हैं और शराब के नशे में डूब जाते हैं. फिल्म में मीना कुमारी और राज कपूर की एक्टिंग देखने लायक है.