बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना ने अपनी ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे. एक समय उनका स्टारडम ऐसा था कि उन्होंने लगातार 15 हिट फिल्में देकर सबकी बोलती बंद कर दी थी. उन्हें इंडियन सिनेमा के पहले सुपरस्टार का दर्जा हासिल था. वह जिस फिल्म में होते, उसे सक्सेस की गारंटी माना जाता था लेकिन राजेश खन्ना जितनी जल्दी सफलता की सीढ़ियां चढ़े, उतनी ही जल्दी उतर भी गए.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजेश खन्ना को जब बेतहाशा सक्सेस मिली तो उनका एटीट्यूड सांतवें आसमान पर पहुंच गया जिसका उन्हें खामियाजा भी उठाना पड़ा. हाल ही में आनंद बख्शी की किताब किस्से, नगमे, बातें यादें में खुलासा हुआ कि राजेश खन्ना जब बुरे दौर से गुजर रहे थे और उनकी फिल्में भी पिटना शुरू हो गई थीं तो वो काफी अकेला महसूस करने लग गए थे.




आनंद बख्शी के बेटे राकेश बख्शी द्वारा लिखी गई किताब में कहा गया है, राजेश खन्ना कॉल करके मेरे डैड आनंद बख्शी को कॉल करके कहते थे, मैं बहुत अकेलापन महसूस कर रहा हूं इसलिए आपको कॉल किया, कोई मुझे कॉल नहीं करता. तब मेरे पिता राजेश खन्ना जी को इमोशनल सपोर्ट दिया करते थे. इंडस्ट्री में ढलते करियर के दौर में जब राजेश खन्ना किसी के टच में नहीं थे तो वो मेरे पिता से बात किया करते थे.




आपको बता दें कि राजेश खन्ना की फिल्म मिलन (1967) और आराधना (1969) के ही गाने लिखकर आनंद बख्शी का करियर चमक गया था. इसके बाद उन्होंने राजेश खन्ना की ही कई फिल्मों जैसे दो रास्ते, आन मिलो सजना, कटी पतंग, द ट्रेन, अपना देश, नमक हराम, अजनबी, प्रेम कहानी, महबूबा, अनुरोध आदि में गाने लिखे और इस तरह दोनों की विनिंग टीम ने एक से बढ़कर एक मुकाम हासिल किए.   


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