65 साल की उम्र में भी रेखा को लेकर लोगों की दीवानगी कम नहीं हुई है. उन्होंने कभी खूबसूरत बनकर लोगों पर कहर ढ़ाया तो कभी उमराव जान बनकर अपना जलवा बिखेरा. उनकी फिल्में तो चर्चित रहीं हीं लेकिन उससे ज्यादा उनकी पर्सनल लाइफ सुर्खियों में रही. जिस महफिल में भी वो नज़र आती हैं वहां रौनक बढ़ जाती है. रेखा मांग में सिंदूर भरती हैं, रहस्यमयी जीवन जीती हैं. जब भी उनका नाम आता है तो अमिताभ बच्चन का नाम खुद-ब-खुद ज़ुबान पर आता जाता है. दोनों ने कभी खुलेआम प्यार का इजहार तो नहीं किया लेकिन इनके चर्चे हर गली मोहल्ले में होते थे. रेखा के 66वें बर्थडे पर आपको बता रहे हैं उस घटना के बार में जब अमिताभ बच्चन से ना मिल पाने के कारण रेखा ने कहा था, 'मुझे मौत मंजूर थी पर बेबसी का ये एहसास नहीं'


जब 1983 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान हुए हादसे के बाद अमिताभ जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे. ऐसा कहा जाता है कि तब तक रेखा और अमिताभ एकदूसरे से अलग हो चुके थे. अमिताभ के साथ हुए इस हादसे के बाद रेखा खुद को रोक नहीं पाईं और बच्चन साहब की एक झलक देखने के लिए हॉस्पिटल पहुंच गईं. इसके बाद ऐसी खबरें आईं कि रेखा को अमिताभ से मिलने नहीं दिया गया. रेखा को इस घटना से बेहद धक्का लगा.



एक मैगज़ीन को दिए बयान में उन्होंने उस लम्हें का जिक्र करते हुए कहा, ''सोचिए मैं उस शख्स को ये नहीं बता पाई कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं. मैं ये महसूस नहीं कर पाई कि उस शख्स पर क्या बीत रही है. मुझे मौत मंजूर थी पर बेबसी का ये एहसास नहीं. मौत भी इतनी बुरी नहीं होती होगी.'' इस बयान से साफ था कि अलग होने के बावजूद रेखा के दिल में अमिताभ के लिए प्यार कम नहीं हुआ था. वहीं अमिताभ ने इस रिश्ते की बात से हमेशा नकारा. उनके मुताबिक तो रेखा बस उनकी को-स्टार थीं, इससे ज्यादा कुछ नहीं.


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आपको बता दें कि रेखा का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को चेन्नई में हुआ था. रेखा का असली नाम भानुरेखा है. उनके जन्म के समय उनके माता-पिता की शादी नहीं हुई थी. रेखा के पिता तमिल फिल्मों के सुपरस्टार जैमिनी गणेशन और मां अभिनेत्री पुष्पावली हैं. उनके पिता ने उनके बचपन में उन्हें अपनी संतान के रूप में स्वीकार नहीं किया था. जब बढ़ती उम्र में रेखा की मां पुष्पावल्ली को फिल्मों में काम मिलना बंद हुआ तो घर के आर्थिक हालात बिगड़ गए और 13 साल की रेखा को फिल्मों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा.



रेखा ने 1969 में रेखा अपनी मां के साथ हिंदी फिल्मों में किस्मत आज़माने मुंबई आ गईं. रेखा की पहली डेब्यू फिल्म अंजाना सफ़र थी जिसमें उनके अपोजिट हीरो बिस्वजीत थे. ये फिल्म किसी कारण बस उस वक्त रिलीज नहीं हो पाई. 8 साल बाद किसी और टाइटल के साथ ये फिल्म रिलीज हुई. रेखा की पहली हिंदी रिलीज थी सावन भादो. अपने 45 साल के करियर में रेखा करीब 180 से ज्यादा फिल्में कर चुकी हैं. 2012 में रेखा को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया. रेखा अब बहुत कम फिल्मों में काम करती हैं. पिछले कुछ सालों में उनकी फिल्में 'कुड़ियों का है ज़माना', 'सदियां' और 'सुपर नानी' फ्लॉप रहीं लेकिन रेखा को लेकर लोगों की दिलचस्पी कम नहीं होती.