मियां-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी. यह कहावत हर परिवार और हर परिस्थिति में फिट नहीं बैठती. भरोसा न हो तो सैंडविच्ड फॉरएवर देख सकते हैं. ओटीटी सोनी लिव पर आई आठ कड़ियों की इस वेबसीरीज में नव विवाहित समर (कुणाल रॉय कपूर) और नैना (आहना कुमरा) मर्जी से अपनी गृहस्थी के फैसले लेने के अलावा सब कुछ कर पाते हैं. वजह यह कि मुंबई के उपनगर अंधेरी में जहां उनका फ्लैट है, उसी फ्लोर पर एक तरफ नैना के माता-पिता (अतुल कुलकर्णी-लुबना सलीम) और दूसरी तरफ समर के माता-पिता (जाकिर हुसैन-दिव्या सेठ) का फ्लैट है. दोनों की नजरें सदा अपने बच्चों पर रहती है कि नई गृहस्थी में उन्हें कोई तकलीफ न हो. मां-बाप अपनी सादगी और लाड़-दुलार में समर-नैना के लिए लगातार मुश्किलें खड़ी करते हैं.


सैंडविच्ड फॉरएवर सिटकॉम है. ऐसी सिचुएशनल कॉमेडी जिसमें एक ही सैट पर तय कलाकारों के बीच अलग-अलग परिस्थितियों/घटनाओं से कॉमेडी पैदा होती रहती है. बैकग्राउंड से हंसी-ठहाके और झंकार बीट्स आती हैं. दर्शक को रंगमंच जैसा फील होता है. सैंडविच्ड फॉरएवर देखते हुए इस सदी के शुरुआती वर्षों में टीवी चैनल स्टारवन पर धूम मचाने वाले सीरियल साराभाई वर्सेस साराभाई की याद आती है. जिसमें श्रीमान साराभाई अपनी पत्नी और छोटे बेटे के साथ एक फ्लैट में रहते हैं और सामने वाला फ्लैट उनके बड़े बेटे-बहू का है. सास-बहू की समस्याओं से लेकर तमाम छोटी-मोटी घटनाएं माहौल को खट्टा-मीठा-गुदगुदा बनाए रखती हैं. सैंडविच्ड फॉरएवर में भी समधी-समधनें और उनके बच्चे अलग-अलग फ्लैट्स में आमने-सामने हैं. उनके रिश्तों के समीकरण, एक-दूसरे से प्यार-अदावत, गलतफहमियां-खुशियां, रूठना-मनाना तथा अच्छे-बुरे हालात चुटीली घटनाओं को जन्म देते हैं. उनकी उलझनें और मश्किलें दर्शक की हंसी का कारण बनती हैं. यहां केंद्र में अपने-अपने मां-पिता के बीच सैंडविच बने समर और नैना हैं. उनके घर या जीवन में क्या हो रहा है, इसी के इर्द-गिर्द लगभग हर कहानी घूमती है.



समर डब्ल्यूएफएच यानी वर्क फ्रॉम होम गेम डेवलेपर है, वहीं नैना नेशनल लेवल बैडमिंटन प्लेयर है. आर्मी में रह चुके नैना के मुंबईकर पिता बच्ची को नजरों से दूर नहीं करना चाहते तो वह सामने वाला फ्लैट बेटी-दामाद को दिलाते हैं. तभी कानपुर से आए समर के माता-पिता कहते हैं कि बेटे की शादी के बाद वे उसी के पास रहेंगे. समर-नैना साफ कहते हैं कि वे अपना अलग घर बसाना चाहते हैं. आजाद रहना चाहते हैं. संयोग से उसी फ्लोर पर एक और फ्लैट खाली है. तो दोनों के माता-पिता अपनी-अपनी इकलौती संतानों को अपनी दीवारों से लगी चारदीवारी में बसा देते हैं. इस तरह समर-नैना को अलग रहने तो मिल जाता है परंतु आजादी नहीं मिलती क्योंकि दोनों के माता-पिता में से कोई न कोई उनकी जिंदगी में आते-जाते दखल देता रहता है. यह दखल उनकी फर्स्ट नाइट से लेकर सीरीज की सभी कड़ियां खत्म तक बरकरार है. समर के बुलाए लव काउच, हनीमून पर जाने की प्लानिंग, पापाओं के स्यापे, मम्मियों के ड्रामे, नौकरानी की झंझट से लेकर नैना के बर्थडे गिफ्ट और समर द्वारा महंगी चीजों को बीवी के डर से सस्ता बताने के कारण पैदा होने वाली समस्याएं, सभी घटनाओं को कॉमिक बनाती हैं.


इस सिटकॉम को अच्छे ढंग से लिखा और निर्देशित किया गया है. खास तौर पर छोटे-छोटे चुटीले संवाद गुदगुदाते हैं. कलाकारों की कॉमिक टाइमिंग इसे देखने लायक बनाती है. लेखकों ने हर किरदार को अलग-अलग खूबियां-खामियां दी हैं. नैना के पिता के रूप में अतुल कुलकर्णी पर जहां हर समय जासूसी का खुमार चढ़ा रहता है, वहीं नैना की मां टैरो कार्ड्स, ऑरा और क्रिस्टल्स से सबकी जिंदगी पढ़ने और भविष्य बताने की कोशिश में लगी रहती है. समर के पिता पौधों के साइंटिस्ट हैं और उनसे बातें करते हैं तो मां तलाक दिलाने में एक्सपर्ट वकील हैं. वह कभी सुनती नहीं, हमेशा बोलती हैं. समर आलसी है और नैना स्पोर्टस परसन. इस तरह सभी किरदारों का मिजाज यहां जुदा-जुदा है. हर कलाकार का अभिनय बढ़िया है मगर अतुल कुलकर्णी और कुणाल रॉय कपूर अलग निखर कर आते हैं. शुरुआत में अतुल छाए रहे मगर धीरे-धीरे कुणाल उनके बराबर आ जाते हैं.



ओटीटी की दुनिया में क्राइम और सेक्स कथाओं का बोलबाला है. अच्छी कॉमेडी मिलना दुर्लभ है. सैंडविच्ड फॉरएवर इस कमी को पूरा करती है. अगर आप हंसना चाहते हैं तो इसे जरूर देख सकते हैं. यहां कॉमेडी के ब्रेड-बटर के साथ समर-नैना के रोमांस का टॉप-अप भी है. यह अवश्य है कि सीरीज के अंतिम दो-तीन एपिसोड पिछले एपिसोड्स जैसे वजनदार नहीं रह जाते. इस ओरीजनल सीरीज को मेहनत और मौलिक ढंग से लिखा जाए तो भविष्य में काफी संभावनाएं हैं.