बॉलीवुड में संजय मिश्रा की गिनती मंझे हुए कलाकारों में होती है. संजय ने पिछले एक दशक में बॉलीवुड की कई लीक से हटकर फिल्मों में काम किया है और अपने आपको एक सफल एक्टर के तौर पर स्थापित किया है. लेकिन इस कलाकार की ज़िंदगी में एक दौर ऐसा भी था जब वो बॉलीवुड की मायावी दुनिया को छोड़-छाड़ कर ऋषिकेश में एक ढाबे पर काम करने लगे थे.





बिहार के दरभंगा में जन्मे एक्टर और कॉमेडियन संजय मिश्रा पिता की मौत के बाद मायूस हो गए थे, इसलिए उन्होंने एक्टिंग छोड़ ढाबे पर काम करना शुरू कर दिया था. पिता की मौत ने संजय मिश्रा को तोड़कर रख दिया था. पिता की मौत के बाद वो गुमशुदा हो गए थे और अकेला महसूस करने लगे थे. उनका कहीं मन नहीं लग रहा था. उनका मन वापस मुंबई जाने का भी नहीं हुआ और उन्होंने एक्टिंग भी छोड़ दी थी.





संजय मिश्रा अपनी पूरी जिंदगी उस ढाबे पर ही काम करने में निकाल देते, अगर रोहित शेट्टी ना होते. कहा जाता है कि इसी दौरान रोहित शेट्टी ने उन्हें गोलमाल मूवी में काम करने का ऑफर दिया जो उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा. संजय मिश्रा मूल रूप से बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं. उनके पिता शम्भुनाथ मिश्रा पेशे से पत्रकार थे और उनके दादा डिस्ट्रीक्ट मजिस्ट्रेट थे. जब वे नौ साल के थे तो उनकी फैमिली वाराणसी शिफ्ट हो गई थी.





आज के समय में संजय मिश्रा के पास फिल्मों की भी कमी नहीं है. रोहित शेट्टी की फिल्म के जरिए वापसी करने के बाद उनके पास फिल्मों की बौछार होने लगी और उन्होंने कई हिट फिल्में दीं. संजय मिश्रा ने 'फंस गए रे ओबामा', 'मिस टनकपुर हाजिर हो', 'प्रेम रतन धन पायो', 'मेरठिया गैंगस्टर्स' और 'दम लगाके हइशा' जैसी कई फिल्में कीं और अपनी अलग पहचान बनाई.