Saurabh Shukla Birthday Special: सौरभ शुक्ला, बोले तो बॉलीवुड के कल्लू मामा,  वो नाम है जिसे आज किसी परिचय की मोहताज नहीं. बॉलीवुड में ऐसे बहुत से कलाकार हुए हैं, जिन्होंने लीड एक्टर से अलग भी अपनी एक अलग पहचान बनाई. सौरभ शुक्ला उन्हीं चंद कलाकरों में से एक हैं.


बचपन से था एक्टिंग का शौक


5 मार्च को उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में जन्में सौरभ को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था. वैसे कहा जाए तो कला सौरभ को विरासत में मिली थी. सौरभ की मां जोगमाया शुक्ला भारत की पहली महिला तबला वादक थीं, वहीं पिता शत्रुघन शुक्ला भी मशहूर आगरा घराने के संगीतकार रहे. यही वजह है कि घर से ही सौरभ का कला का माहौल मिला.


नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से सीखीं एक्टिंग की बारिकियां


सौरभ के जन्म के कुछ साल बाद ही इनका परिवार दिल्ली आ गया. दिल्ली में ही सौरभ की पढ़ाई लिखाई हुई. खालसा कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. लेकिन सौरभ का सपना तो कुछ और ही था. उन्हें एक्टिंग का शौक था यही वजह है कि उन्होंने साल 1984 में  नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया और अपने एक्टिंग के सफर की शुरूआत की.



थियेटर सीखने के साथ ही सौरभ को काम भी मिला. उन्होंने कई बेहतरीन प्ले में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाया और तारीफें बटोरी. सौरभ ने 'एक व्यू फ्रॉम द ब्रिज', 'लुक बैक इन एंगर' और 'घासीराम कोतवाल' सहित कई शानदार प्ले अभिनय किया है. इन सभी प्ले में सौरभ की एक्टिंग की काफी तारीफें हुई.


 फिल्म 'बैंडिट क्वीन' से किया बॉलीवुड में डेब्यू


थियेटर तो चल ही रहा था लेकिन सौरभ की मंजिल तो कहीं और थी. सौरभ ने अपने सपनों को साकार करने के लिए मायानगरी मुंबई का रुख किया. और यहीं से उनकी किस्मत बदल गई. बॉलीवुड के मशहूर निर्माता और निर्देशक शेखर कपूर ने सौरभ को बॉलीवुड में पहला ब्रेक दिया. उन्होंने अपनी फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में सौरभ को कास्ट किया. और यही से बॉलीवुड में सौरभ की एंट्री हुई. फिल्म 'बैंडिट क्वीन' की एक्टिंग को काफी पसंद किया गया. इसके बाद सौरभ ने कभी पीछे मुढ़कर नहीं देखा. इसके बाद उन्होंने 'इस रात की सुबह नहीं', 'करीब' और 'जख्म'  जैसी शानदार  फिल्मों में काम किया.


 फिल्म 'सत्या' में कल्लू मामा के किरदार से मिली पहचान


सौरभ की एक्टिंग की गाड़ी तो चल निकली थी, लेकिन फिर भी कुछ कमी थी. इस कमी को पूरा किया डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने. राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म 'सत्या' में सौरभ को कल्लू मामा का किरदार दिया. ये वो रोल था जिससे सौरभ शुक्ला को बॉलीवुड में और ऑडियंस के बीच ऐसी पहचान मिली कि आज भी हर कोई उन्हें कल्लू मामा के नाम से ही जानता है. कल्लू मामा के रोल में सौरभ की एक्टिंग को बेहद पसंद किया गया.



 फिल्म 'सत्या' के को राइटर भी हैं सौरभ


एक बार सौरभ ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि पहले वो फिल्म सत्या में काम नहीं करना चाहते थे, सिर्फ कल्लू मामा के रोल की वजह से ही उन्होंने फिल्म सत्या में कम किया था. वैसे आपको बता दें कि सौरभ और अनुराग कश्यप ने मिलकर ही इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी थी, यानी सौरभ सत्या के को राइटर भी हैं.


जॉली एलएलबी', 'पीके', 'जॉली एलएलबी 2' फिल्मों में किया शानदार अभिनय


फिल्मी पर्दे पर सौरभ ने हर सुपरहिट एक्टर्स के साथ काम किया लेकिन इस बीच अपनी एक्टिंग की अलग ही छाप छोड़ी. उन्होने 'हे राम', 'स्लमडॉग मिलेनियर', 'ये साली जिंदगी', 'बर्फी', 'जॉली एलएलबी', 'पीके', 'जॉली एलएलबी 2', 'रेड', 'बाला' और 'छलांग' जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया.