हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत साल 1966 में आई फिल्म ‘आखिरी खत’ से की थी. राजेश खन्ना की इतनी जबरदस्त फैन फॉलोइंग थी उनके लिए गाड़िया फूलों से सज कर आती थी. लड़कियां राजेश खन्ना की फोटो से शादी तक कर लेती थी और खून से लिखे लव लेटर भेजा करती थीं. रजेश खन्ना को फिल्म ‘अराधना’ से काफी स्टारडम मिला जिसमें शर्मिला टैगोर उनकी को-एक्टर थी. 1969 से लेकर 1975 का दौर एक ऐसा दौर था जब राजेश खन्ना हर जगह दिखते थे.



राजेश खन्ना को जितनी जल्दी कामयाबी या स्टारडम मिला था उनती ही जल्दी उतार भी आया और इसके चलते वह बुरी तरह टूट गए थे. जब राजेश खन्ना को अपने स्टारडम के खोने का पता चला उसके बाद राजेश खन्ना तनाव में रहने लगे और अकेलेपन का शिकार हो गए थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजेश खन्ना ने अपने स्टारडम के बाद जैसे ही अपने करियर में ढलान देखनी शुरु की तो उनको ऐसा लगने लगा कि वो माउंट एवरेस्ट से गिरे हैं.



राजेश खन्ना ने अपने करियर के झुकाव को लेकर एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि, 'ये सच है कि मैं अपने करियर में बहुत नीचे गिरा हूं और मुझे बहुत चोट भी लगी है. अगर मुझे कम सफलता मिली होती तो मेरे लिए ये सब एडजस्ट करना आसान होता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ मैं काफी ऊंचाई से गिरा हूं और उसके चलते चकनाचूर हो गया हूं और अंदर से बहुत दुखी हूं. ये चोट इसलिए भी ज्यादा क्योंकि मैं माउंट एवरेस्ट से गिरा हूं.'