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इस एक्टर को सक्सेस के लिए करना पड़ा लंबा इंतज़ार, 30 साल तक बॉलीवुड ने किया था नज़रअंदाज़!
शरत की मानें तो, उनके फ़िल्मी सफर की बात करें तो उन्होंने 1980 के आसपास फिल्मों में काम करना शुरू किया था. शुरुआत में उन्हें मजबूत कद-काठी और बॉडी बिल्डर होने के नाते छोटे-मोटे रोल करके और दो-तीन डायलॉग देकर चलता कर दिया जाता था.
बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकार हैं जिन्हें अपने टैलेंट के मुताबिक काम नहीं मिला. इन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में सालों का सफर तय किया लेकिन सक्सेस की बाट जोहते रहे. ऐसे ही एक एक्टर शरत सक्सेना हैं जिन्होंने कई फिल्मों में बेहतरीन काम किया लेकिन उसके मुताबिक सालों तक उन्हें वो पहचान नहीं मिली जिसके वो हक़दार थे. अपने फ़िल्मी करियर की स्ट्रगल पर शरत ने एक इंटरव्यू में कई दिलचस्प बातें शेयर की थीं जो कि अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
शरत की मानें तो, उनके फ़िल्मी सफर की बात करें तो उन्होंने 1980 के आसपास फिल्मों में काम करना शुरू किया था. शुरुआत में उन्हें मजबूत कद-काठी और बॉडी बिल्डर होने के नाते छोटे-मोटे रोल करके और दो-तीन डायलॉग देकर चलता कर दिया जाता था. उन्हें बॉडी बिल्डर मानकर एक्टिंग करने का मौका नहीं दिया जाता था जिसके कारण वह बेहद निराश हो जाया करते थे.
इंडस्ट्री में 30 साल तक संघर्ष करने के बाद भी उन्हें मुकाम नहीं मिल रहा था लेकिन फिर डायरेक्टर शाद अली ने उन्हें फिल्म 'साथिया' में रानी मुखर्जी के पिता का रोल दिया और चीज़ें बदलीं. उनपर से जूनियर आर्टिस्ट का ठप्पा हटा और वो बेहतरीन कलाकार के तौर पर खुद को स्थापित कर पाए. उन्हें इस बात का दुःख है कि 30 साल तक उन्हें बॉलीवुड में नज़रअंदाज किया गया.
70 साल के शरत ने तकरीबन 250 फिल्मों में काम किया है. उनके हिस्से 'मिस्टर इंडिया', 'त्रिदेव', 'घायल', 'खिलाड़ी', 'गुलाम', 'गुप्त', 'सोल्जर', 'बागबान', 'फना', 'कृष', 'बजरंगी भाईजान' और कई फ़िल्में आईं. फिल्म 'गुलाम'(1998) के लिए उन्हें फिल्मफ़ेयर का बेस्ट विलेन अवॉर्ड का नॉमिनेशन मिला था.
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अशोक वानखेड़ेवरिष्ठ पत्रकार
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