Shehnaaz Gill के भाई Shehbaz Badesha ने हाथ पर बनवाया Sidharth Shukla के चेहरे का टैटू, नीचे लिखा शहनाज का नाम..
शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) के भाई शहबाज़ बदेशा (Shehbaz badesha) भी पिछले 16 दिनों में ना जाने कितनी ही बार सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) को याद कर चुके हैं.
Shehbaz Badesha got Sidharth Shukla's face tattooed on his hand: इस तरह आशिकी का असर छोड़ जाऊंगा, तेरे चेहरे पे अपनी नजर छोड़ जाऊगा. सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) आज भले ही इस दुनिया में हम सब के बीच नहीं हैं लेकिन शहनाज़ गिल पर अपनी आशिकी का वो असर छोड़ा है सिद्धार्थ ने कि शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) उनके बिना टूट सी गई हैं. सिद्धार्थ का नाम जब जब लिया जाएगा तब तब शहनाज की याद आएगी, याद आएगी इनकी मीठी तीखी नोक-झोक, याद आएगी सिद्धार्थ के लिए शहनाज की दीवानगी और याद आएगा बिन बोले ही आंखों से सिद्धार्थ का सब कुछ कह जाना. लेकिन सिद्धार्थ का असर केवल शहनाज तक ही नहीं था बल्कि उनका ऑरा ही ऐसा था कि जो भी उनसे मिला उन्हीं का होकर रह गया. इसलिए उनके जाने का ग़म हर सीने को छलनी कर रहा है. शहनाज गिल के भाई शहबाज़ बदेशा (Shehbaz badesha) भी पिछले 16 दिनों में ना जाने कितनी ही बार सिद्धार्थ को याद कर चुके हैं. और अब उन्होंने जो किया है उससे सिद्धार्थ हमेशा हमेशा के लिए उनके साथ उनके ज़हन में जिंदा रहेंगे.
शहबाज़ ने बनवाया सिद्धार्थ का टैटू
शहबाज़ बदेशा जब बिग बॉस 13 में दाखिल हुए थे तो घर के अंदर भी उनकी और सिद्धार्थ की बॉन्डिंग खूब देखने को मिली थी. सिद्धार्थ, शहनाज और शहबाज़....तीनों एक साथ खूब बातें करते और साथ में खूब समय बिताते. घर से निकलने के बाद ये दोस्ती खत्म या कम नहीं हुई बल्कि ये रिश्ता और भी गहरा होता चला गया. शहबाज ने सिद्धार्थ को दोस्त मानकर अपने दिल में जगह तो दे ही दी थी लेकिन अब उनके जाने के बाद जो किया है उससे हर किसी की आंखें एक बार फिर नम हो गई हैं. खास बात ये है कि शहबाज ने सिद्धार्थ और शहनाज को फिर एक कर दिया है. शहबाज़ ने अपने हाथों पर सिद्धार्थ का चेहरा बनवाया है और नीचे लिखा है शहनाज.
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सिद्धार्थ ने उस वक्त दुनिया को अलविदा कहा जब उन्होंने जिंदगी को लेकर हसीन ताने बाने बुनने शुरु किए ही थे. करियर शानदार दौर में था...लॉकडाउन के जिस दौर में लोगों का काम बंद हो गया था उस वक्त में सिद्धार्थ और शहनाज दोनों ही बराबर चमक रहे थे. काम की कोई कमी नहीं थी...और शायद आने वाले महीनों या फिर सालों में सिद्धार्थ घर भी बसा लेते. एक खुशहाल परिवार होता और ठाठ से जिंदगी जीते. लेकिन आज की हकीकत इस सपने से पूरी तरह जुदा है. क्योंकि अब सिद्धार्थ हमारे बीच नहीं है..और इस सच को कुबूल करना किसी के लिए आसान नहीं.