Sidharth Shukla Funeral Remind us Last Scene of Shershaah Movie: सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) हमेशा के लिए चले गए हैं और उनकी ये कमी हमेशा खलेगी. परिवार को भी, उनके दोस्तों को भी और उनके फैंस को भी. लेकिन एक शख्स और था सिद्धार्थ की जिंदगी में जो परिवार से कम नहीं था और शायद दोस्त से बढ़कर था. तभी तो सिद्धार्थ के जाने से वो शख्स टूट गया है....बेसुध हो गया है....जीने की मानो चाह छोड़ चुका है..वो हैं शहनाज गिल. गुरुवार से ही शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) की एक झलक पाने के लिए मीडिया बेताब था. सिद्धार्थ की सबसे करीबी शहनाज का इस अनहोनी के बाद क्या हाल है ये हर कोई जानना चाहता था. पर शहनाज हर किसी से दूर थीं. आज जब सिद्धार्थ शुक्ला (Shehnaaz Gill) का पार्थिव शरीर शमशान घाट पर पहुंचा तो पीछे पीछे पहुंच गईं उनकी प्यारी शहनाज और जिसने भी उन्हें देखा वो बस देखता ही रह गया. बिखरे बाल, पूरी बेहाल, रो रोकर लाल हो चुकीं आंखें और सहारे से चलता बेजान सा शरीर. क्या ये वहीं शहनाज थीं जिन्हें हम पिछले 2 सालों से देखते आए थे. नहीं ये वो शहनाज नहीं थी. ना जाने क्यों आज सिद्धार्थ की अंतिम विदाई में नजर आईं शहनाज को देख शेरशाह फिल्म (Shershaah Movie) के आखिरी सीन की याद आ गई. शेरशाह (Shershaah) की कहानी को सिद्धार्थ शुक्ला के जाने से सिर्फ़ एक चीज़ जोड़ती है और वो है जुदाई।




हाल ही में शेरशाह फिल्म रिलीज हुई थी और इस फिल्म के आखिरी सीन की खूब चर्चा हुई. जिसमें कैप्टन विक्रम बत्रा के अंतिम संस्कार में डिपंल चीमा का रोल प्ले कर रहीं कियारा आडवाणी पहुंचती हैं...और टूटकर रोती हैं. आज जब शहनाज को देखा तो बरबस ही वो सीन आंखों के सामने ताजा हो गया. हम सिर्फ फिल्म में दर्शाए गए इस भावुक सीन के कारण ही ये बात नहीं कह रहे...और ना ही डिंपल चीमा और शहनाज गिल के बीच किसी तरह की समानता की बात कर रहे हैं लेकिन नियति देखिए शहनाज आज जिंदगी के उसी मोड़ पर खड़ी हैं जिस पर कभी 22 साल पहले डिंपल चीमा खड़ी थीं. सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल का रिश्ता क्या था ये आज तक कोई नहीं जान सका. हर किसी को लगता था कि यहां दोस्ती से बढ़कर कुछ है लेकिन ऑफिशियल तौर पर किसी ने कभी कुछ नहीं कहा. 


शेरशाह फिल्म में विक्रम बत्रा और डिंपल चीमा के अद्भुत प्यार की कहानी ने हर किसी का दिल जीत लिया. और प्यार के कितने रूप हो सकते हैं वो हमें बताया...एक ऐसा ही अलग रूप सिद्धार्थ और शहनाज के प्यार का भी था. कहते हैं प्यार का कोई नाम नहीं होता और शायद इसलिए सिडनाज ने भी अपने प्यार को कोई नाम नहीं दिया. बस दोनों के दिल जुड़े थे और वो इनके लिए काफी था. फिर चाहे दुनिया कुछ भी कहती रही. विक्रम बत्रा के जाने के बाद डिंपल चीमा ने अकेले जिंदगी गुजारने का फैसला लिया था और आज भी वो उस फैसले पर कायम है. जिंदगी काट रही हैं अकेले विक्रम बत्रा की यादों के सहारे. ठीक उसी तरह अब शहनाज के हिस्से भी उन पलों की बस यादे ही रह गई हैं जो उन्होंने सिद्धार्थ के साथ गुजारे...और शायद वो यादें ही शहनाज को हिम्मत देंगीं फिर से उठ खड़ा होने की, फिर से संभल जाने की. संभलना जरूरी भी है क्योंकि यादों के सहारे जिंदगी काटी तो जा सकती है लेकिन जी नहीं जा सकती. और शहनाज के आगे तो एक लंबा सफर बाकी है.



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