(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
नाम और शोहरत खूब मिला लेकिन निजी ज़िंदगी से परेशान रही ये एक्ट्रेस, मां ना बन पाने का है अफसोस
Bollywood: पढ़ाई पूरी करने के बाद सिमी ने एक्टिंग में अपना करियर बनाने की ठानी और उन्हें पहला ब्रेक मिला 1962 में आई एक इंग्लिश फिल्म से जिसका नाम था ‘टार्ज़न गोज़ टू इंडिया’.
बात आज हिंदी फिल्मों की एक ऐसी एक्ट्रेस की जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ था. हम बात कर रहे हैं एक्ट्रेस सिमी ग्रेवाल(Simi Garewal) की जिनका जन्म 17 अक्टूबर 1947 को लुधियाना में हुआ था. सिमी को बचपन से ही एक्टिंग का बेहद शौक था. हालांकि, सिमी के घरवालों का कहना था कि वह पहले खूब पढ़ लिख लें, इसी के चलते उन्हें और उनकी बहन को इंग्लैंड पढ़ने के लिए भेज दिया गया था.
पढ़ाई पूरी करने के बाद सिमी ने एक्टिंग में अपना करियर बनाने की ठानी और उन्हें पहला ब्रेक मिला 1962 में आई एक इंग्लिश फिल्म से जिसका नाम था ‘टार्ज़न गोज़ टू इंडिया’. इस फिल्म में सिमी के अपोजिट फ़िरोज़ खान नज़र आए थे. वहीं, बॉलीवुड में फिल्म ‘सन ऑफ़ इंडिया’ से सिमी को पहला ब्रेक मिला था. इस फिल्म में उनका छोटा लेकिन सशक्त रोल था.
इसके बाद सिमी ने कई अन्य फिल्मों में भी काम किया लेकिन सन 1965 में आई देवानंद की फिल्म ‘तीन देवियां’ से उन्हें इंडस्ट्री में सही पहचान मिली थी. आपको बता दें कि, फेमस डायरेक्टर, राइटर, प्रोड्यूसर रहे यश चोपड़ा, सिमी के जीजा हैं. हालांकि, सिमी को इस बात का मलाल हमेशा ही रहा कि यश साहब ने उन्हें कभी कोई अच्छा रोल अपनी फिल्मों में ऑफर नहीं किया. बात यदि एक्ट्रेस की पर्सनल लाइफ की करें तो एक समय नवाब पटौदी और सिमी एक दूसरे को बेहद पसंद करते थे लेकिन किन्हीं वजहों से इनकी शादी नहीं हो पाई थी. जिसके कुछ समय बाद सिमी ने दिल्ली के बिज़नसमैन रवि मोहन से शादी कर ली थी लेकिन यह भी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकी और दोनों एक दूसरे से अलग हो गए थे.
आपको बता दें कि सिमी, 1988 में आई फिल्म ‘रुख़सत’ को डायरेक्ट भी कर चुकी हैं. इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती और अनुराधा पटेल मुख्य भूमिका में थे. वहीं, सिमी लीजेंड्री एक्टर राज कपूर की डॉक्यूमेंट्री के साथ ही 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भी डॉक्यूमेंट्री बना चुकी हैं. बताते चलें कि टेलीविजन शो ‘रोंदेवू विद सिमी ग्रेवाल’ से उन्हें काफी शौहरत और नाम मिला था. हालांकि, इतना सब हासिल करने के बावजूद सिमी के मन में हमेशा से ही एक बात की टीस रही कि वह कभी ‘मां’ नहीं बन पाईं.