अभिनेता सोनू सूद की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. इस सुनवाई के दौरान सोनू के वकील ने कहा कि एक्टर उस जगह को स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक में गिरवी रख कर उससे मिले पैसों का इस्तेमाल समाज सेवा के लिए कर रहे हैं. इसपर हाईकोर्ट ने कहा कि यह याचिका का मुद्दा नही है और सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया.


सोनू के वकील अमोघ सिंह ने कोर्ट में कहा-




  • बीएमसी की नोटिस बिना किसी ठोस आधार के दी जाने का दावा सोनू के वकील ने किया और कहा यह इमारत 1992 से ही वहां पर पर है.

  • बीएमसी की नोटिस में फ्लोर, प्रोपर्टी का डिस्क्रिप्शन, और डायमेंशन नही दिया गया है.


बीएमसी ने कहा बिल्डिंग का निर्माण करने में नियमो का पालन नही किया गया पर बीएमसी किस हिस्से का गलत तरह से बनाने की बात कह रही है वो साफ नहीं है. लोक डाउन के समय यह बिल्डिंग मुंबई पुलिस को दी गयी थी जो कि उस समय सबकी मदत कर रहे थे.


इस बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर दुकान और रेस्ट्रोरेंट चल रहे हैं जो कि परमिशन के बाद चल रही है. इस बिल्डिंग को फस्ट फ्लोर से लेकर सिक्स्थ फ्लोर तक का फायर एनओसी बीएमसी ने ही दिया है.


आपको बता दें कि बीएमसी ने आरोप लगाया है कि सोनू सूद ने बिना अनुमति के 6 मंजिल आवासीय इमारत को कथित रूप से होटल में बदल दिया. इसी मामले को लेकर बीएमसी ने 7 जनवरी को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इसी मामले में बचाव के लिए सोनू सूद बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे थे. इस मामले पर अभी सुनवाई चल रही है.


इसस पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में बीएमसी ने कहा कि सोनू सूद अनाधिकृत काम से पैसा कमाना चाहते हैं. बीएमसी ने कहा कि दो बार डेमोलीशन के बावजूद सोनू सूद रिहायशी बिल्डिंग में अनाधिकृत तरीके से कंस्ट्रक्शन करवाते रहे हैं.


सोनू सूद पर क्या आरोप हैं?


बीएमसी ने जुहू पोलिस स्टेशन में सोनू सूद के खिलाफ जो शिकायत पत्र कार्रवाई के लिए लिखा,उसमे इन आरोपों का जिक्र है-


शिकायत में कहा गया है कि सोनू सूद ने नियमों का पालन ना करते हुए अवैध निर्माण किया. बिना इजाज़त के रिहायसी जगह को कमीर्शियल कैटेगिरी में बदलाव किया गया. नोटिस 27 सितंबर 2020 को दिया गया था जिसकी अवधि 26 नवंबर को खत्म हुई ,जिसका जवाब सोनू ने नहीं दिया. 4 जनवरी को फिर मुआयना किया गया जिसमें पाया गया की नोटिस का जवाब दिए बिना ही सोनू ने अवैध निर्माण का काम जारी रखते हुए पूरा किया.