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South Vs Bollywood: काजल अग्रवाल ने हिंदी सिनेमा में बताई एथिक्स और वैल्यू की कमी, बोलीं- साउथ इंडस्ट्री कराती है घर जैसा एहसास
Kajal Agarwal: एक्ट्रेस काजल अग्रवाल ने एक इंटरव्यू के दौरान साउथ वर्सेज बॉलीवुड पर बात की. इस दौरान एक्ट्रेस ने हिंदी सिनेमा में एथिक्स, डिसिप्लिन और वैल्यू की कमी बताई.
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Kajal Agarwal On South Vs Bollywood: काजल अग्रवाल ने हिंदी, तेलुगू और तमिल फिल्म इंडस्ट्री में अपनी दमदार एक्टिंग से खास पहचान बना ली है. एक्ट्रेस ने फिल्म ‘क्यों! हो गया ना …’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इसके बाद उन्होने कुछ और हिंदी फिल्मों के साथ कई तेलुगू और तमिल फिल्में कीं. हाल ही में काजल ने एक इंटरव्यू के दौरान हिंदी इंडस्ट्री और साउथ इंडस्ट्री के बीच अंतर के बारे में बात की.
साउथ इंडस्ट्री में होता है घर जैसा एहसास
न्यूज 18 के एक शो में काजल से पूछा गया था कि जब उन्होंने फिर से काम करना शुरू करने का फैसला किया तो उन्होंने किस दिशा में देखा. इस पर एक्ट्रेस ने कहा, 'मैं बॉम्बे गर्ल हूं यहीं पैदा हुई और पली-बढ़ी. मैंने हैदराबाद (तेलुगू) फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर शुरू किया और मेरे काम की मेन बॉडी तमिल और तेलुगू फिल्में हैं. मैंने कुछ हिंदी फिल्में की हैं लेकिन मेरे लिए घर जैसा अहसास हैदराबाद और चेन्नई है और यह कभी नहीं जाएगा."
साउथ बहुत फ्रेंडली इंडस्ट्री है
एक्ट्रेस से ये भी पूछा गया कि क्या साउथ इंडस्ट्री ज्यादा एक्सेप्ट कर रहा है. इस पर काजल ने जवाब दिया, "साउथ इंडस्ट्री यकीनन बहुत स्वीकार कर रहा है लेकिन मुझे लगता है कि कोई छूट नहीं है या कड़ी मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है और सफलता का कोई आसान तरीका नहीं है." काजल ने यह भी बताया कि क्या टर्म्स ऑफ अप्रोच के मामले में दोनों इंडस्ट्री में कोई अंतर है. इस पर उन्होंने कहा, “ऐसे बहुत से लोग हैं जो हिंदी में अपना करियर शुरू करना चाहते हैं क्योंकि ये ज्यादा नेशनवाइड मान्यता प्राप्त भाषा है. काजल ने आगे कहा, हां साउथ बहुत फ्रेंडली इंडस्ट्री है, यह बहुत स्वीकार्य है. साउथ में शानदार टेकनीशियन हैं अमेजिंग डायरेक्टर और फिनोमल कंटेंट है जो सभी चार भाषाओं तेलुगु, तमिल, मलयालम और कन्नड़ में जनरेट होता है.
हिंदी सिनेमा में एथिक्स और वैल्यू की कमी
काजल ने आगे ये भी कहा, “और निश्चित रूप से, हिंदी हमारी मातृभाषा रही है. हम हिंदी फिल्में देखते हुए बड़े हुए हैं. यह स्वीकार करता रहा है और मुझ पर बहुत मेहरबान भी रहा है. लेकिन मैं ईको-सिस्टम, एथिक्स, वैल्यू, साउथ इंडस्ट्री के अनुशासन को पसंद करती हूं जो मुझे लगता है कि हिंदी सिनेमा में कमी है."
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