Kaviyoor Ponnamma Death: मलयालम फिल्म इंडस्ट्री से बेहद दुखद खबर आ रही हैं. दरअसल सबसे फेमस स्क्रीन 'मां' कवियूर पोन्नम्मा का निधन हो गया है. वे 79 साल की थी. उन्होंने शुक्रवार शाम एक प्राइवेट अस्पताल में अंतिम सांस ली. अपनी बड़ी, लाल बिंदी के लिए मशहूर पोन्नम्मा कुछ समय से बीमार चल रही थीं. दिग्गज अभिनेत्री के निधन से इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है.
मुख्यमंत्री ने भी जताया शोक
कवियूर पोन्नम्मा के निधन से तमाम सेलेब्स और फैंस सदमे में हैं. वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी दिग्गज अभिनेत्री के निधन पर शोक जाहिर किया है. मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, “कवियूर पोन्नम्मा के निधन के साथ मलयालम सिनेमा का एक महत्वपूर्ण चैप्टर समाप्त हो गया, जिन्होंने दशकों तक मदरहुड के एसेंस को पर्दे पर साकार किया. मलयाली महिलाओं के उनके सहज चित्रण ने हमारी सामूहिक स्मृति पर एक अमिट छाप छोड़ी है परिवार, दोस्तों और मलयालम सिनेमा को पसंद करने वाले सभी लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना.”
कवियूर पोन्नम्मा के निधन पर तमाम सेलेब्स ने जताया शोक
अभिनेत्री नायवा नायर ने कवियूर पोन्नम्मा के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर लिखा, " जब पोन्नम्मा बीमार थीं तो वह उनसे मिलने नहीं जा सकीं. "मुझे सचमुच दुख हो रहा है कि मैं उसे नहीं देख सकी. मैं उन्हें 'पोन्नू' कहकर बुलाती था और जब मैं शूटिंग के दौरान उनके साथ होती था तो यह वास्तव में मजेदार और आनंददायक होता था. वह एक रियल मां की तरह थीं, फिल्मी मां की तरह नहीं.''
स्क्रीन पर ‘मां’ के किरदार में बटोरी सुर्खियां
1950 के दशक के एंड में कवियूर पोन्नम्मा ने मलयालम नाटक से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी, पोन्नम्मा ने स्क्रीन पर एक मां और दादी के रोल में सबसे ज्यादा पहचान बनाई. उन्होंने फिल्मों मेंसत्यन और प्रेम नज़ीर, ममूटी, मोहनलाल, सुरेश गोपी और कई दिग्गज अभिनेताओं की 'मां' की भूमिका निभाई थीय
अपने लंबे और प्रतिष्ठित अभिनय करियर में उन्होंने 700 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें ज्यादातर फिल्में मलयालम थीं. वे उम्र से संबंधित बीमारियों से जूझ रही थी और अभिनेत्री ज्यादातर समय घर पर ही रहती थीं.उनके पति का 2011 में निधन हो गया खा और उनकी एक बेटी है जो अमेरिका में बस गई है. पिछले कुछ हफ़्तों से वह बीमार थीं और उनकी हालत ख़राब होने के कारण ज़्यादातर समय उन्हें अस्पताल के बिस्तर पर ही रहना पड़ता था.