ABP Southern Rising Summit: खाकी, वॉन्टेड और सिंघम जैसी फिल्मों में नेगेटिव रोल्स को अलग तरह का डरावना और मजाकिया रंग देकर दर्शकों को रिझाने वाले प्रकाश राज आज एबीपी नेटवर्क के सदर्न राइजिंग समिट के दूसरे संस्करण में बोल रहे थे.
उन्होंने यहां वन मैन मेनी टैलेंट टॉपिक के तहत अपनी बातें रखीं. उन्होंने पॉलिटिक्स और उनकी चिंताओं को लेकर भी कई सारी बातें कीं. सबसे पहले उनसे सवाल किया गया कि बिजी रहने के बावजूद आप इतने एक्टिव कैसे रहते हैं? इसके जवाब में प्रकाश राज ने कमाल की बात बोली.
सोशल मीडिया पर इतने एक्टिव कैसे रहते हैं प्रकाश राज?
प्रकाश राज से पूछा गया कि आप इतने बिजी होने के बावजूद सोशल मीडिया पर भी इतने एक्टिव कैसे रहते हैं. और अलग-अलग मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं. इस पर प्रकाश राज ने जवाब दिया कि- 'क्योंकि मैं जिंदा हूं'.
उन्होंने बताया कि- जब मैं कॉलेज से बाहर आया और कर्नाटक में थिएटर में जाकर कई लोगों से मिला. तो उनका असर मेरे ऊपर काफी असर पड़ा.
पत्रकार गौरी लंकेश पर क्या बोले प्रकाश राज?
गौरी लंकेश की हत्या का असर प्रकाश राज पर बहुत ज्यादा पड़ा. वो उनकी मेंटर थीं. उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ बोलने की वजह से गोली मार दी गई. मैंने उन्हें दफनाते समय ये कहा कि मैं उन्हें दफना नहीं रहा उन्हें रोप रहा हूं. ताकि लोगों को पता चले कि अगर आप एक आवाज दबाते हैं तो एक और उससे भी बड़ी और ताकतवर आवाज उठकर आती है.
पहले बच्चे की मौत पर क्या बोले प्रकाश राज
जब प्रकाश राज से उनके पर्सनल जीवन में हुए लॉस और उनके पहले बच्चे की मौत पर सवाल किया गया. तो उन्होंने इसके जवाब मे कहा- दर्द एक अलग चीज है. मेरे बच्चे और गौरी लंकेश की मौत के बाद भी मेरे पास और भी रिस्पॉन्सिबिलिटी हैं. मेरी बच्चियां हैं. मुझे उनकी भी रिस्पॉन्सिबिलिटी भी है. इसलिए मैं दर्द के साथ और मजबूत हुआ हूं.
काम को लेकर क्या बोले प्रकाश राज?
प्रकाश राज ने कहा मैं सिंघम से लेकर कांजीवरम जैसी हर तरह की फिल्में कर सकता हूं. इसलिए मैंने खुद को सिर्फ आर्ट सिनेमा में बांधकर नहीं रखा. मैं हर तरह की फिल्में की हैं. इसके लिए डायरेक्टर्स का शुक्रिया कि उन्होंने मुझे ऐसी फिल्में दी हैं. मैं आर्ट और कमर्शियल दोनों तरह के सिनेमा कर सकता हूं.
आज के इंडिया में किस बात को लेकर आप चिंतित हैं?
प्रकाश राज से जब पूछ गया कि वो आज के इंडिया में किन चीजों को लेकर चिंतित हैं. तो उन्होंने कहा कि मैं इनटोलरेंस और इंडिया की पॉलिटिक्स को लेकर वरीड हूं. लोग ब्रेनवॉश्ड हो रहे हैं. हम फ्यूचर को रीइमैजिन नहीं कर रहे है. मैं न तो लेफ्टिस्ट हूं और न ही राइट विंग वाला.
वो आगे कहते हैं कि मेरा मानना है कि सभी को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए. बहुत सी चीजें परेशान करती हैं कि आप अपनी बात न रख पाएं, इसलिए आपको रोका जाता है. ये बुरा लगता है. उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे लोग जो गलत राजनीति करते हैं वो आपसे बैठकर बात नहीं करना चाहते. वो सिर्फ आपको चुप कराना चाहते हैं.
तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री क्यों आपको नहीं पसंद करती?
इस सवाल के जवाब में प्रकाश राज ने कहा कि एक हाथ से थाली नहीं बजती. मुझे 8 बार बैन किया गया. मैं हमेशा आउटसाइडर रहा हर जगह. लेकिन हो सकता है कि मेरी तरफ से भी कोई गलती हो. लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि मुझे चुप कराने की कोशिश की गई. इसलिए ऐसा हुआ.
कब खुश फील करते हैं प्रकाश राज?
मेरे खेत और बच्चों के साथ मैं खुश फील करता हूं. मेरे पास शहरों में बिल्डिंग्स नहीं हैं. मेरे पास हैदराबाद और मैसूर, चेन्नई में कई सारे खेत हैं. मैं इन खेतों में मैं नेचर से बात करने का काम करता हूं.
हैदराबाद में मैंगो, मैसूर में थिएटर इनक्यूबेटेड सेंटर है. मैं चाहता हूं कि आने वाली जनरेशन के लिए कुछ कर सकूं. मैं फेलोशिप भी देता हूं. हम बच्चों की एजूकेशन पर काम कर रहे हैं.
मैं थिएटर में अपना रेलेवेंस ढूंढ रहा था. इसलिए मैंने अपने रिसोर्स का इस्तेमाल कर थिएटर पर काम किया है. ताकि थिएटर को और अच्छा कर सकूं.
क्या आप चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं?
इसके जवाब में प्रकाश राज कहते हैं कि इलेक्टोरल पॉलिटिक्स में मैं जीत नहीं पाउंगा. मैं बहुत कुछ जानना चाहता था इसलिए मैंने 7 महीने का काम से ब्रेक लिया और लोगों से मिला ताकि पता कर सकूं कि नेशनल पार्टीज बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टीज के वोटबैंक की स्थिति और उनके बारे में समझ सकूं. मुझे फर्स्ट हैंड इनफॉर्मेशन मिली. मैं लोगों से बात करना चाहता था. मैंने किया और समझा और मैं इसी में अपनी जीत समझता हूं.
मोस्ट सरप्राइजिंग क्या था इस जर्नी में?
इसके जवाब में प्रकाश राज कहते हैं कि मैं लोगों को ब्लेम नहीं करता. ये प्रेजेंट पॉलिटिकल सीनेरियो और नैरेटिव को ब्लेम करूंगा कि कैसे उनके दिमाग में चीजें डाली जा रही है. मैं जो कुछ भी कर रहा हूं हो सकता है वो सही न हो लेकिन मुझे पता है कि ये एक प्रोसेस है कुछ नया करने का. मैं कहता हूं कि आपको लोगों को एजुकेट करना होगा कि लोग वोट करें. 50 प्रतिशत लोग तो वोट भी नहीं करते.