Pushpa 2: पुष्पा 2 ने वर्ल्डवाइड और इंडिया में कमाल की कमाई जारी रखी है. 5 दिसंबर को रिलीज हुई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाती जा रही है. हर बड़ा रिकॉर्ड तोड़ती जा रही फिल्म को दर्शकों का प्यार भी मिल रहा है. फुल मसाला और मास एंटरटेनर पुष्पा 2 देखते समय अगर दिमाग न लगाया जाए तो फिल्म बोर नहीं करती.
लेकिन उसके बावजूद पुष्पा 2 में कुछ बेहद इल्लॉजिकल चीजें डाल दी गई हैं. जिन्हें देखते हुए लगता है कि डायरेक्टर-राइटर ने ऐसा सोच भी कैसे लिया. हालांकि, फिल्म देखकर लोग इंजॉय कर रहे हैं, ये अलग बात है. लेकिन कुछ चीजें जरूर आपको भी सोचने पर मजबूर करेंगी कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है.
यहां हम ऐसी ही चीजों पर बात करेंगे जिन्हें पढ़ने के बाद अगर आप फिल्म देखेंगे तो आपको भी लगेगा...आखिर ये था क्या? इसके अलावा, फिल्म के उस स्टॉन्ग पॉइंट के बारे में भी बात करेंगे जिसका इस्तेमाल कर सुकुमार ने फिल्म से जादू क्रिएट कर दिया है.
क्लाइमैक्स फाइट
कुछ हट के दिखाने के चक्कर में सुकुमार ने कुछ ऐसा दिखा दिया है कि उसे देखकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर ये पॉसिबल कैसे है. फिजिक्स नाम की कोई भी चीज पुष्पा 2 में लागू नहीं होती. साइंस के स्टूडेंट रहे हैं तो आप क्लाइमैक्स फाइट आपके दिमाग का हलवा कर सकती है.
पुष्पा 1 में बंधे हुए मुंह और पीछे बंधे हाथ के साथ पुष्पा ने कई गुंडों को धूल चटाई थी. तो इस बार गुंडों ने थोड़ी सावधानी दिखाई और पहली की घटनाओं से सीख लेते हुए पैर और हाथ दोनों बांध दिए. लेकिन पुष्पा तो पुष्पा है, वो न तो झुकेगा और न ही रुकेगा. उसने उसी बंधी हुई अवस्था में उड़-उड़कर गुंडों को मारना शुरू कर दिया. कम से कम 10 लोगों को तो इसी तरह मारा ही होगा. शायद 20 भी रहे होंगे.
अब अगर आप सोच रहे हैं कि पुष्पा के हाथ और पैर बंधे थे तो वो उड़कर मार तो रहा था लेकिन किस हथियार से? तो जवाब है दांतों से..जी हां दांतों से. गर्दन, कान, मुंह जो कुछ भी पाया पुष्पा ने उसे चबाया और अपनी भतीजी को बचाकर ले आया.
ओपनिंग सीन
पुष्पा देसी था लेकिन उसे इंटरनेशनल बनाने का प्रेशर भी था मेकर्स के पास. इसलिए उसे ओपनिंग सीन में ही जापान भेज दिया जाता है. जहां वो जापानी गुंडों के भी छक्के छुड़ा देता है. फाइट-वाइट छोड़िए वो तो आप देख ही लेंगे. एक बात बिल्कुल भी समझ नहीं आई कि पुष्पा 40 दिनों तक किसी कंटेनर में बैठकर अंधेरे में समुद्री रास्ते से जापान जिंदा पहुंचा कैसे.
तो इसका फिल्मी लॉजिक है...कि वो पुष्पा है कुछ भी कर सकता है. लेकिन एक बात समझ नहीं आई कि उसने खाया क्या होगा और डेली रूटीन वाले काम कैसे निपटाए होंगे. यहां तक तो सब सही है लेकिन पुष्पा ने अंधेरे में जापनी स्पीकिंग कोर्स वाली किताब से कमाल की जापानी सिर्फ 40 दिनों में कैसे पढ़कर सीख ली.
इल्लॉजिकल चीजों से जादू कैसे बिखेरा डायरेक्ट ने
इसके अलावा, भी कई बेहद इल्लॉजिकल चीजें भरी पड़ी हैं फिल्म में. लेकिन इन इल्लॉजिकल चीजों को भी जादू की तरह पेश करने में माहिर सुकुमार ने कमाल किया है. वो कमाल उन्होंने टेक्नीशियन और बैकग्राउंड म्यूजिक के सहारे किया है.
- असल में फिल्में समाज का आईना कही जाती हैं, लेकिन एक बात ये भी सच है कि दर्शक अपनी रोजमर्रा की चीजों से ऊबकर कुछ ऐसा देखने की ललक भी लिए बैठा रहता है जहां उसे सिर्फ और सिर्फ एंटरटेनमेंट मिले.
- यही एंटरटेनमेंट सुकुमार ने अपने टेक्नीशियन्स की टीम के साथ मिलकर दे दिया है. जहां जैसा बैकग्राउंड म्यूजिक चाहिए वैसा इस्तेमाल कर इमोशन्स जगाने का काम बेहतरीन तरीके से किया गया है.
- इसके अलावा, वीएफएक्स, स्पेशल इफेक्ट्स इतने शानदार हैं कि सब कुछ ओरिजनल लगता है. तो अगर कल्पना को ओरिजनल जैसा दिखा दिया जाए तो कहानी बढ़िया हो जाती है. सुकुमार ने अपने नैरेशन के साथ फिल्म को ब्लॉकबस्टर बना दिया.
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