Ramoji Rao Death: साउथ इंडस्ट्री से दुखद खबर आ रही है. दरअसल ईनाडु और रामोजी फिल्म सिटी के संस्थापक रामोजी राव का आज सुबह तेलंगाना के हैदराबाद में निधन हो गया. प्रतिष्ठित मीडिया दिग्गज और फिल्म सम्राट रामोजी राव का हैदराबाद के स्टार अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हुआ है. उन्होंने सुबह 3:45 बजे अंतिम सांस ली. वे 87 साल के थे. रामोजी के निधन की खबर के बाद से साउथ इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है. तमाम सेलेब्स और फैंस रामोजी राव के निधन पर दुख जता रहे हैं.
5 जून को अस्पताल में हुए थे भर्ती
रामोजी राव को हाई ब्लडप्रेशर और सांस फूलने की समस्या के बाद 5 जून को हैदराबाद के नानकरामगुडा में स्टार हॉस्पिटल्स भर्ती कराया गया था.डॉक्टरों ने रामोजी को बचाने की काफी कोशिश की उनके हार्ट में स्टेंट लगाया गया था और उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर भी रखा गया था. लेकिन उनकी हालत बिगड़ती चली गई और आज तड़के सवेरे उन्होंने हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
बता दें कि रामोजी राव ने कुछ साल पहले कोलन कैंसर से सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी थी. रामोजी राव लंबे समय से पुरानी बीमारी और उम्र से संबंधित हेल्थ इश्यू से जूझ रहे थे. वहीं रामोजी राव के निधन पर ईटीवी
रामोजी राव कौन थे?
रामोजी ती साधारण शुरुआत से अपार सफलता तक की जर्नी वास्तव में सभी के इंस्पायरिंग है. 16 नवंबर, 1936 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पेडापारुपुडी गांव में एक किसान परिवार में रामोजी राव का जन्म हुआ था. उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा थीम पार्क और फिल्म स्टूडियो, रामोजी फिल्म सिटी बनाया था. उनके बिजनेस एम्पायर में मार्गादारसी चिट फंड, ईनाडु न्यूजपेपर, ईटीवी नेटवर्क, रामादेवी पब्लिक स्कूल, प्रिया फूड्स, कलंजलि, उषाकिरण मूवीज, मयूरी फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स और डॉल्फिन ग्रुप ऑफ होटल्स शामिल हैं.
एक मीडिया दिग्गज के रूप में, रामोजी राव ने तेलुगु राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला था. कई राज्य और राष्ट्रीय नेताओं के साथ उनके काफी अच्छे रिलेशनशिप थे जो महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी सलाह लेते थे. पत्रकारिता, साहित्य, सिनेमा और शिक्षा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए, भारत सरकार ने उन्हें 2016 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.
रामोजी राव ने कई क्लासिक फिल्मों का निर्माण किया था
रामोजी राव ने 1984 की ब्लॉकबस्टर रोमांटिक ड्रामा श्रीवारिकी प्रेमलेखा के साथ फिल्म निर्माण में कदम रखा था और मयूरी, प्रतिघातन, मौना पोरतम, मनसु ममता, चित्रम और नुव्वे कवली सहित कई क्लासिक्स का निर्माण कियाय निर्माता के रूप में उनकी आखिरी फिल्म दगुदुमुथा दंडकोर थी, जो 2015 में रिलीज़ हुई थी.