Salaar Review: शाहरुख की 'डंकी' के साथ प्रभास की 'सालार' आ चुकी है. फिल्म ने कमाई के मामले में रिकॉर्ड सेट कर दिया है. पहले दिन 116 करोड़ के ऊपर ओपनिंग लेने वाली ये पहली भारतीय फिल्म बन चुकी है. अगर आप इस पसोपेश में हैं कि 'सालार' देखनी चाहिए या नहीं, तो आपको फिल्म के बारे में ये खास बातें जरूर पढ़नी चाहिए. इसके बाद आप खुद ये फैसला कर पाएंगे कि फिल्म देखनी चाहिए तो क्यों? 


KGF जैसी अलग दुनिया महसूस कराती है फिल्म
फिल्म के डायरेक्टर प्रशांत नील माहिर हैं पर्दे पर एक काल्पनिक दुनिया को असली की तरह पेश करने में. आपने केजीएफ देखी होगी, तो वो संसार जिस तरह से आपने महसूस किया होगा, वैसा ही एक अलग संसार महसूस करने के लिए आपको ये फिल्म देखनी चाहिए. 






KGF जैसी होने के बावजूद उतनी ही इंगेजिंग है फिल्म
आप जब फिल्म देखने पहुंचेंगे तो आपको अलग-अलग कैरेक्टर निभाते केजीएफ से अलग एक्टर्स दिखेंगे. लेकिन कैरेक्टर्स बिल्कुल वैसे ही हैं. उतने ही क्रूर, हिंसक, वहशी और खतरनाक. फिल्म के पहले सीन से ही ऐसा लगता है जैसे हम केजीएफ का स्पिनऑफ जैसा कुछ देख रहे हैं. लेकिन ये मूवी का नेगेटिव नहीं, पॉजिटिव पॉइंट है. क्योंकि फिल्म का फर्स्ट हाफ आपको हूबहू केजीएफ की तरह ही झलकियां दिखाती है. ये कई बार कन्फ्यूजिंग होने के बावजूद इंगेजिंग है. इसका फायदा सीधे-सीधे ये मिलता है कि फिल्म में थ्रिल और सस्पेंस दोनों बने रहते हैं. और आपका दिमाग बोरियत से ऊबेगा नहीं बल्कि आप आगे की कहानी के लिए उत्सुक दिखेंगे.






प्रभास का दमदार किरदार
फिल्म में प्रभास के अलावा, श्रुति हसन और पृथ्वीराज सुकुमारन भी हैं और उन्होंने अपना काम अच्छे से किया है. लेकिन फिर भी आप ये फिल्म सिर्फ प्रभास के लिए भी देख सकते हैं. हिंदी दर्शकों में प्रभास की जो छवि बाहुबली सीरीज से बनी थी वो 'राधे श्याम' और 'साहो' तक आते-आते धूमिल होने लगी थी. इस फिल्म में वो टशन के साथ लौटे हैं. पूरी फिल्म में उनकी आंखों में दिख रहा गुस्सा और चेहरे के एक्सप्रेशन आपको सीट में बैठे रहने के लिए मजबूर करते रहेंगे.


फिल्म को पर्दे पर पेश करने का तरीका
कहानी की बात करें तो बहुत कुछ नहीं बता सकते, वरना स्पॉइलर हो जाएगा. ये दो दोस्तों की कहानी जो आगे चलकर दुश्मन बन सकते हैं. ये कहानी गद्दी के लिए मारकाट की है. आपने ऐसी कहानियों पर बहुत सी फिल्में देखी होंगी. इसमें कुछ नया नहीं लग रहा होगा. इस फिल्म के साथ ऐसा नहीं है. फिल्म की ये कहानी कुछ ऐसे पेश की गई है कि आप फिल्म में कहीं खो से जाएंगे और उससे बाहर आने का मन नहीं करेगा.


प्रशांत नील का शानदार स्क्रीनप्ले 
किसी भी फिल्म को अच्छा बनाने के लिए जरूरी है कि उसे पर्दे में दिखाया कैसे जाए. प्रशांत नील ने इस फिल्म को डायरेक्ट करने के साथ-साथ इसकी स्टोरी भी लिखी है. इसके अलावा, स्क्रीनप्ले भी उन्होंने ही लिखा है. इस वजह से वो इन तीनों चीजों में सामंजस्य बिठा पाए हैं. किस कैरेक्टर को किस एंगल से शूट करना है और किस एंगल से घूसा मारते हुए दिखाना है कि वो प्रभावी लगें. इसमें प्रशांत नील माहिर हैं. आप सिर्फ इस बात के लिए ही ये फिल्म देख सकते हैं.


रोंगटे खड़े करने देने वाले एक्शन सीक्वेंस
मारपीट में दिखाए जाने वाले मूव्स आप इसके पहले भी कई बार देख चुके होंगे. लेकिन इस फिल्म में वो अच्छे लगते हैं. किसी भी एक्शन सीन को बढ़िया बनाने का काम करता है उसका बैकग्राउंड म्यूजिक. किसी मूव के साथ कौन सी आवाज आनी चाहिए वो सब कुछ इतना परफेक्ट है कि सिर्फ इसके एक्शन के लिए आप ये फिल्म देख सकते हैं. हाथ-पैर और सिर काटने के सीन कुछ ऐसे फिल्माए गए हैं कि अगर आप कमजोर दिल के हैं तो आपको ये फिल्म देखने से बचना चाहिए.


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