बचपन से हकलाते थे शरद केलकर, 'बाहुबली' में की डबिंग तो मिला असल फेम! बोले- 'प्रभास की फिल्मों से जो पहचान मिली वह बड़ी थी...'
Sharad Kelkar On Dubbing Artists: शरद केलकर बताते हैं कि कैसे लोग अब वॉइस डबिंग आर्टिस्ट्स को पहचानने लगे हैं. उन्होंने कहा- 'मुझे नहीं लगता कि वॉइस इंडस्ट्री में किसी के साथ ऐसा हुआ है.'
Sharad Kelkar On Dubbing Artists: शरद केलकर एक एक्टर होने के साथ-साथ एक बेहतरीन वॉइस डबिंग आर्टिस्ट हैं. उन्होंने साउथ फिल्म इंडस्ट्री की कई फिल्मो के लिए डबिंग की है. इनमें 'बाहुबली' से लेकर 'सालार' तक शामिल हैं. हाल ही में शरद ने एक डबिंग आर्टिस्ट के तौर पर अपने करियर को लेकर बात की है. उन्होंने बतौर डबिंग आर्टिस्ट पहचाने जाने का क्रेडिट प्रभास की फिल्मों को दिया है और बताया है कि कैसे एक हकलाने की समस्या से जूझते हुए उन्होंने ये अचीवमेंट हासिल की.
इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में शरद केलकर कहते हैं, 'मैं बचपन से ही हकलाता था. जब तक मैंने एक्टिंग करनी शुरू नहीं की तब तक मैं हकलाता था. मैंने कभी एक्टर बनने का सपना नहीं देखा था, वॉइस एक्टर बनना तो दूर की बात है. शरद ने आगे कहा- साउथ में मैंने बहुत लंबे समय से ज्यादा काम नहीं किया है. मैंने बहुत लंबे समय से हॉलीवुड फिल्मों की डबिंग भी नहीं की है. लेकिन प्रभास की फिल्मों से मुझे जो पहचान मिली वह बड़ी थी.'
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'लोग अब वॉइस डबिंग आर्टिस्ट्स को पहचानने लगे हैं...'
शरद केलकर बताते हैं कि कैसे लोग अब वॉइस डबिंग आर्टिस्ट्स को पहचानने लगे हैं. उन्होंने कहा- 'मुझे नहीं लगता कि वॉइस इंडस्ट्री में किसी के साथ ऐसा हुआ है. लोगों ने अब वॉयस-ओवर आर्टिस्ट्स को नोटिस करना शुरू कर दिया है, जैसे लोगों ने पुष्पा में श्रेयस (तलपड़े) को और केजीएफ में यश के लिए सचिन गोले को पहचाना. इसलिए मुझे लगता है कि बाहुबली के बाद आप उस इंसान को जरूर जानते हैं जिसने डब किया है और यह किसकी आवाज है.'
प्रभास की फिल्मों से बढ़ी पहचान
एक वॉइस आर्टिस्ट के तौर पर पहचान मिलने का क्रेडिट प्रभास की फिल्मों को देते हए शरद कहते हैं, 'मैं कहूंगा कि बाहुबली ने इंडस्ट्री में बदलाव लाया और लोगों ने वॉइस एक्टर्स को भी पहचानना और उनका सम्मान करना शुरू कर दिया. लोग मुझे जानते थे, लेकिन उन्होंने यह भी देखा कि मैं एक वॉइस एक्टर हूं. इन फिल्मों को डब करने के लिए इस्तेमाल की जा रही मेरी आवाज को वे पहचानने लगे और दूसरे आर्टिस्ट्स को भी पहचान मिलने लगी. इसके लिए मैं बहुत खुश हूं.'
भारत में वॉइस आर्टिस्ट्स को नहीं मिलता हक?
इसके अलावा शरद केलकर ने आगे ये भी कहा कि हॉलीवुड में एनीमेशन फिल्म्स की हेडलाइन यही होती है कि इस एक्टर ने इस किरदार के लिए डबिंग की है और भारत में भी ऐसा होना चाहिए. शरद के मुताबिक भारत में अब तक ऐसा नहीं हो रहा क्योंकि वे वॉयस एक्टर्स को उनका हक नहीं देना चाहते जिसके वे हकदार हैं.